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क्यों हो रही है लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान में देरी ?

चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि अभी लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने में काफी वक्त है. पहले ये संभावना थी कि चुनाव आयोग मार्च के पहले हफ्ते में लोकसभा चुनाव तारीखों का एलान कर सकता है लेकिन अब ख़बर ये आ रही है कि तारीखों का एलान होने में वक्त है.

एनडीटीवी ने चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि तारीखों की घोषणा के लिए अभी काफी समय है और इस संबंध में कुछ (विपक्षी) दलों की ओर से लगाए गए आरोप गलत हैं. खबर ये है कि एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने कहा है कि हम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के हिसाब से नहीं चलते. हमारा अपना कार्यक्रम होता है.’ दरअसल, चुनावों की तारीखों को लेकर चुनाव आयोग पर खड़े किए जा रहे सवालों की एक बड़ी वजह यह है कि 2014 के आम चुनाव की तारीखों का एलान पांच मार्च के दिन कर दिया गया था.

क्यों हो रही है देरी?

इस बार भी संभावना थी की जल्द ही चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि इसमें देरी हो रही है. हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि आयोग जानबूझकर ऐसा कर रहा है क्योंकि वो चाहता है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने सभी चुनावी कार्यक्रम और घोषणाएं पूरी कर ले, जो कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद आचार संहिता लागू होने के चलते संभव नहीं होगा. हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारी ने इस बात से इंकार किया है और कहा है इस बार का समय आराम से चुनावी कार्यक्रम तैयार करने की अनुमति देता है. अधिकारी ने कहा,

‘पिछली बार आम चुनावों के सभी परिणामों की घोषणा का दिन 31 मई था. इस बार ऐसा तीन जून को होगा. इसलिए हमारे पास काफी समय है. कोई देरी नहीं हुई है.’

चुनाव आयोग का मानना है कि पहले सभी राज्यों में चुनावी तैयारियां कर  ली जाएं उसके बाद लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया जाए. कुछ महीनों से लगातार चुनाव अधिकारी अलग अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं और ये देख रहे हैं कि राज्य लोकसभा चुनाव के लिए कितना तैयार हैं. खबर ये भी है कि लोकसभा चुनाव के साथ कम से कम एक राज्य में विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं. लिहाजा आयोग का काम थोड़ा मुश्किल भरा होने जा रहा है. कहा तो ये भी जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.

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