चुनौती बड़ी है और वक्त कम है. राहुल गांधी अभी तक बेरोजगारी, कर्जमाफी और रफाल का मुद्दे पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन अब राष्ट्रवाद की हवा ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है. अभी कांग्रेस क्षत्रपों के साथ गठबंधन पर विचार कर रही थी लेकिन अब नई रणनीति बनने के संकेत मिल रहे हैं.
27 फरवरी को भारतीय वायुसेना की बालाकोट में हुई सर्जिकल स्ट्राइक ने बीजेपी के पक्ष में हवा बनाने का काम किया है. जब भारत पाकिस्तान के बीच तनाव के हालात थे उसी वक्त दिल्ली में हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद आया राहुल का बयान कांग्रेस के लिए मुश्किल बन गया है. हालाकिं ये एक संयुक्त बयान था जिसे राहुल गांधी ने सिर्फ पढ़ा था और कहा था कि
‘बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व सेना के बलिदान का राजनीतिकरण कर रहा है’
बीजेपी ने इसे मौके की तरह लिया और बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेस करके राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा कर दिया. राहुल के बयान को पाकिस्तानी मीडिया ने भी प्रमुखता से दिखाया. पीएम मोदी ने भी कई मंचों पर उनके इस बयान पर विपक्ष को घेरा. लेकिन सच्चाई ये थी कि राहुल गांधी उन्हीं पुराने मुद्दों पर बात करना चाहते थे जिनपर वो पहले बोलते आए हैं. मगर ममता बनर्जी नहीं मानी और उन्हें ये बयान जारी करना पड़ा.
बीजेपी के निशाने पर राहुल
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर सभी बड़े नेताओं ने राहुल गांधी के इस बयान पर कांग्रेस को जमकर घेरा. इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गईं क्योंकि वो कतई नहीं चाहती की चुनाव हिंदुस्तान-पाकिस्तान या राष्ट्रवाद पर हो. कांग्रेस की शुरु से कोशिश है कि चुनाव रफाल, रोजगार और कर्जमाफी के मुद्दों पर लड़ा जाए. चुंकि अब पाकिस्तान का मुद्दा गर्मा गया है लिहाजा बीजेपी का जोश बढ़ गया है. खबर तो ये भी है कि बीजेपी के वो नेता और सांसद जो एयरस्ट्राइक से पहले अनमने थे वो मन में आ गए हैं. और कांग्रेस के वो नेता जो प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद जोश में थे वो चिंतित हो गए हैं क्योंकि कांग्रेस थम सी गई है.
थम गया कांग्रेस का प्रचार
प्रियंका गांधी अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस रद्द की, गुजरात में होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक टाल गई और कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के चुनाव प्रचार में धार आई है. अब खबर ये है कि राहुल गांधी नई रणनीति के साथ मैदान में उतर सकते हैं. रणनीति ये है राहुल अब गठबंधन से दूरी बनाकर रखेंगे. संपूर्ण विपक्ष और महागठबंधन से दूर कर वो प्रचार करेंगे. कांग्रेस के मुताबिक देश का माहौल बदल रहा है और देश अब मजबूत सरकार चाहता है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अभी तक लोकसभा का मुकाबला मोदी बनाम राहुल होने से बच रही थी लेकिन अब वो ऐसा चाहती है.
मोदी बनाम राहुल हो मुकाबला
कांग्रेस चाहती है कि मुकाबला आमने-सामने का हो. पार्टी के अंदरूनी माहौल में ये बात कही जा रही है कि राहुल को मोदी को खुला चेलैंज करना चाहिए. ये इसलिए भी है कि जो वोट मोदी के पक्ष में जा रहा है वो जाए लेकिन जो वोट मोदी विरोध में है वो कांग्रेस को मिले. क्योंकि कांग्रेस का ये भी मानना है कि बड़ी तादात में ऐसे मतदाता भी हैं जो बीजेपी से त्रस्त हो गए हैं और सत्ता परिवर्तन चाहते हैं.