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बालाकोट एयरस्ट्राइक: कितने आतंकी मारे गए इससे क्या फर्क पड़ता है ?

26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर एयरस्ट्राइक की थी. इस एयरस्ट्राइक में कितने आतंकी मारे गए ये अब यक्ष प्रश्न बन गया है.

  1. भारतीय वायुसेना- कितने आतंकी मरे ये गिनना हमारा काम नहीं
  2. अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, बीजेपी – 250 से ज्यादा आतंकी मारे गए
  3. जनरल वीके सिंह, विदेश राज्यमंत्री- 250 आतंकी मारे गए
  4. राधामोहन सिंह, कृषि मंत्री – 400 आतंकी मारे गए
  5. एसएस अहलूवालिया, केंद्रीय मंत्री- मोदी ने कब कहा कि वहां आतंकी मारे गए
  6. राजनाथ सिंह, गृहमंत्री- कितने आतंकी मरे ये पूछने वाले बालाकोट जाकर गिन सकते हैं
  7. विदेशी मीडिया- एक भी आतंकी नहीं मरा
  8. विपक्षी पार्टियां- आतंकी मरा तो सबूत दो

अब बताइए कि आप किसे सही मानेंगे कि बालाकोट में भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्राइक में कितने आतंकी मारे गए. और सवाल तो ये भी है कि किसे फर्क पड़ता है कि आतंकी कितने मारे गए. क्या इतना काफी नहीं है कि पुलवामा में हमला कैसे हुआ ये सवाल खत्म हो गया और ये सवाल बड़ा हो गया है कि बालाकोट में आतंकी कितने मारे गए ?

क्या ये बड़ा सवाल नहीं है कि पुलवामा में जो सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए उनका जिक्र न हो और सरकार अपनी पीठ इस बात को लेकर ठोंकने लगे कि हमने बदला ले लिया. बेवजह सब इसके पीछे पड़े हैं कि बालाकोट में कितने आतंकी मारे गए. गणित में जो ‘मान लिया’ थ्योरी इस्तेमाल होती है उसके हिसाब से मान क्यों नहीं लेते अपने हिसाब से कि कितने आतंकी मारे गए.

मरने वाले आतंकियों के आंकड़े का क्या करेंगे?

कितने आतंकी मारे गए इसको लेकर इतनी खिचड़ी हो गई है कि समझ ही नहीं आ रहा है कौन सच्चा है और और कौन झूठा. बीजेपी के कई नेता अलग- अलग आंकड़े बता चुके हैं. कोई बता रहा है कि 30 आतंकी मारे गए, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कम से कम 250 आतंकियों के मारे जाने की बात कही थी, केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके 400 मारे.

बिहार के मोतिहारी में केंद्रीय कृषि मंत्री  राधा मोहन सिंह ने ये बयान दिया, रक्षा मंत्रालय ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हमने कितने आतंकी मारे यह बताना फिलहाल जल्दबाजी होगी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी शोध संगठन (एनटीआरओ) प्रणाली ने बताया है कि भारत के हवाई हमले से पहले बालाकोट में जहां हमला हुआ वहां पर करीब 300 मोबाइल फोन सक्रिय थे. भारतीय वायुसेना के मुखिया ने कहा है कि उनका काम टारगेट हिट करना है ये गिनना नहीं कि आतंकी कितने मरे हैं. अब आप खुद बताइए कि किसकी बात मानी जाए ?

फर्क किससे पड़ता है

विपक्षी पार्टियों को भी चैन नहीं है. जब पता है कि मोदी जी से अच्छा और सच्चा कोई नहीं है. तो फिर क्यों नहीं मान लेते कि बालाकोट में उतने ही आतंकी मरे जितना बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बता रहे हैं. विपक्ष के पास कोई और मुद्दा है नहीं सो बालाकोट में मरे आतंकियों का आंकड़ा मांगकर सेना का मनोबल गिराने में लगा हुआ है.

इसस क्या फर्क पड़ता है कि कितने आतंकी मरे. फर्क इससे पड़ता है कि 14 फरवरी के बाद अब कोई बड़ा आतंकी हमला होगा या नहीं होगा, फर्क इससे पड़ता है कि अर्धसैनिक बलों के जवानों को शहीद का दर्जा मिलेगा या नहीं मिलेगा, फर्क इससे पड़ता है कि आगे से खुफिया एजेंसियां इस तरह की चूक नहीं करेंगे.

फर्क इससे पड़ता है कि किसी जवान के शव को एयरपोर्ट पर इसलिए अकेला नहीं छोड़ दिया जाएगा क्योंकि शहर में बड़ी नेता की रैली है. तो फर्क किससे पड़ता है ये तय करना होगा.

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