भारत और पाकिस्तान के बीच अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद से लगातार पाकिस्तान सी सटी सीमा पर तनाव है और दोनों तरफ से गोलीबारी हो रही है. इस समय में भारत ने अपने 50 से ज्यादा जवानों की कुर्बानी दी है. ऐसे हालातों में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की बड़ी भूमिका है.
2017 में आई एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने भारत के खिलाफ गजवा-ए-हिंद जारी करने का फैसला किया था. गज़वा-ए-हिंद का मतलब है भारत के खिलाफ युद्ध. जैश-ए-मोहम्मद के हालिया हमले उसी गजवा-ए-हिंद का हिस्सा हैं. इसी आतंकी संगठन के चलते बीते दो दशकों में दो बार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात बने हैं. 27 नवंबर 2017 को पाकिस्तान के ओकारा जिले में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में भारत पाकिस्तान के रिश्तों को ध्यान में रखते हुए गजवा-ए-हिंद जारी रखने का फैसला किया गया था.
2019 में पुलवामा में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने आतंकी हमला करके जो हालात बनाए हैं वही हालात 2001 में भी बने थे जब इस आतंकी संगठन ने संसद पर हमला किया था. 20 सालों में जैश-ए-मोहम्मद ने पठानकोट एयरबेस, उरी में सैन्य ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला, श्रीनगर में बादामीबाग कैंट पर हमले और जम्मू कश्मीर विधानसभा के पास बम विस्फोट किया है.
24 दिसंबर, 1999 में IC814 का अपहरण किये जाने पर 31 दिसम्बर, 1999 को आतंकी मसूद अजहर को भारतीय जेल से रिहा किये जाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया गया था. और तभी से ये भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है. जैश-ए-मोहम्मद की इन गतिविधियों को और धार देने के लिए गजवा-ए-हिंद जारी किया गया और जैश-ए-मोहम्मद की कोशिश ये है कि वो भारत पाकिस्तान में युद्ध कराए.