कुछ हफ्तों में लोकसभा है और सभी राजनीतिक पार्टियां इन कोशिशों में लगी हैं कि आने वाले चुनाव में अपनी कमजोर कड़ी को मजबूत किया जाए. बीजेपी भी इसी कारण बूथ को मजबूत करके चुनाव 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना चाह रही है.
इस बार लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने में दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है. दक्षिण के राजनीति में दशकों तक अपना दबदबा बनाए रखने वाले दो नेता इस बार नहीं होंगे. जयललिता और करुणानिधि के निधन के बाद तमिलनाडु सियासी शून्यता से जूझ रहा है. आंध्र प्रदेश में समीकरण बदल गए हैं. टीडीपी ने पाला बदल कर यूपीए को हाथ थाम लिया है. कर्नाटक में जेडीएस ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बना ली है. केरल में कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकलने के बाद वहां उसकी चुनौती बड़ी हो गई है. तेलंगाना में केसीआर ने टीडीपी-कांग्रेस के गठबंधन की हवा निकालकर फिर से सत्ता हासिल कर ली है.
129 सीटों की दिलचस्प जंग
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण भारत के 5 राज्यों की 129 सीटों पर मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है. क्षेत्रीय दलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. बीजेपी-कांग्रेस अपनी पूरी ताकत लगाएंगे. कांग्रेस जहां नए सहयोगियों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिशों में लगी है वहीं बीजेपी मोदी और नए समीकरणों के सहारे कुछ कर गुजरने को बेताब है. बीजेपी ने 2014 में दक्षिण भारत की 129 सीटों में से 21 सीटें जीतीं थीं. बीजेपी के लिए ये 129 सीटें इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि वो उत्तर भारत में अगर उसको नुकसान होता है तो उसकी भरपाई दक्षिण भारत से करना चाहती है.