गोवा में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बीजेपी की सरकार बनाने का दावा किया है. इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी अपनी जमीन तैयार करने की हर संभव कोशिश कर रही है. फर्क सिर्फ इतना है कि पश्चिम बंगाल की सीएम से सीधे टक्कर ले रही है और ओडिशा में ऐसा करने से बच रही है.
इस साल पीएम मोदी ओडिशा का दो बार दौरा कर चुके हैं. पीएम मोदी ने 15 जनवरी को बलांगीर का दौरा किया. बलांगीर पश्चिम ओडिशा का केंद्र कहा जाता है. इससे पहले 5 जनवरी को बारीपदा में पीएम मोदी ने दौरा किया था, बारीपदा पूर्वी ओडिशा का केंद्र है. पीएम मोदी के अलावा बीजेपी के कई और नेता भी लगातार ओडिशा का दौरा कर रहे हैं जिसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं. अमित शाह तो दो महीनों में दो बार ओडिशा जा चुके हैं. 3 फरवरी को पुरी और 29 जनवरी को कटक के कुलिया में उनके कार्यक्रम थे.
इन 2 दौरों के अलावा वो 15 फरवरी को संबलपुर में चार लोकसभा सीटों के कार्यकर्ताओं से बात करने वाले थे लेकिन पुलवामा हमले के बाद उन्होंने ये दोनों कार्यक्रम रद्द कर दिए थे. बीजेपी नेताओं के कार्यक्रम देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ओडिशा की 21 लोकसभा सीटें बीजेपी के लिए कितनी मायने रखती हैं. लेकिन ओडिशा को लेकर पीएम मोदी की रणनीति पश्चिम बंगाल से अलग है. पश्चिम बंगाल में जहां वो ममता बनर्जी पर करारे हमले करते हैं वहीं ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक से वो सीधे टकराने से कतराते हैं.
राज्य में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है
ये दोनों ही राज्य ऐसे हैं जहां पर लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं. बीजेपी ओडिशा में पहले सरकार चला चुकी है और वो उम्मीद कर रही है कि राज्य में उसकी पकड़ धीरे धीरे बढ़ रही है. बीजेपी का आत्मविश्वास इसलिए भी इस राज्य में बढ़ा है क्योंकि पिछले चुनाव में उसके वोटों गिनती बढ़ी है.
2014 के आम चुनावों में बीजेपी को यहां 1 सीट मिली थी, वोट शेयर 20% था. विधानसभा चुनावों में उसके करीब 18% वोट मिले थे. 2009 के आम चुनावों में बीजेपी का वोट प्रतिशत 16-17% था. ओडिशा में 2014 के चुनाव में बीजेडी को 20 सीटों मिली थीं और करीब 44% वोट मिला था. 2009 में बीजेडी का वोट शेयर 43% था.
ओडिशा में बीते 19 सालों से नवीन पटनायक की सत्ता है. इस दौरार बीजेपी-बीजेडी का गठबंधन भी रहा है. 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले ये गठबंधन टूटा था. और इस चुनाव में उसने अकेले 14 सीटें जीती थीं. इसके बाद 2014 के चुनाव में भी बीजेडी ने अकेले मोदी लहर के बावजूद 20 सीटें जीतीं थी. 2019 के चुनाव में भी बीजेडी अकेले मैदान में उतर रही है. मोदी को लग रहा है कि वो एंटी इनकमबेंसी का फायदा उठाएंगे. लेकिन एक सच ये भी है कि नवीन पटनायक की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है हां कुछ विधायकों से लोग नराज जरूर हैं.
पश्चिमी ओडिशा पर बीजेपी नज़र
बीजेपी की कोशिश उन सीटों पर फायदा उठाने की है जहां पर बीजेडी कमजोर है. लिहाजा पश्चिम ओडिशा के बलांगीर में मोदी ने रैली की थी. योगी आदित्यनाथ भी भवानीपटना पर नजर गढ़ाए हैं. अमित शाह संबलपुर पर ध्यान दे रहे हैं. और मोदी ने पश्चिम ओडिशा के ही झारसुगुड़ा में एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था. ओडिशा में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी ने इन जिलों में सबसे ज्यादा सीटें जीतीं थीं. पश्चिम ओडिशा में बीजेपी और पूर्वी ओडिशा में बीजेडी मजबूत है.
बीजेपी-बीजेडी में गठबंधन की संभावना
बीजेपी बीजेडी के साथ गठबंधन में रही है. इसलिए इन दोनों पार्टियों के साथ आने की संभावना ज्यादा है. लिहाजा पीएम मोदी जब भी ओडिशा गए उन्होंने विकास कार्यों की आलोचना तो की लेकिन राज्य के सीएम नवीन पटनायक नही लिया. स्थानीय बीजेपी नेता तो नवीन पटनायक की आलोचना कर रहे हैं लेकिन मोदी इससे कतरा रहे हैं. इससे पीछे मोदी शायद उस संभावना को देख रहे हैं जिसके तरत अगर बीजेडी ने इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करती है तो उससे हाथ मिलाया जा सकता है.
इसका एक कारण ये भी है कि बीजेडी ने जीएसटी, अविश्वास प्रस्ताव, एनआरसी जैसे मुद्दों पर बीजेपी का समर्थन किया है. मोदी चाहते हैं कि बीजेडी के साथ उनका गठबंधन हो और अगर ऐसा न हो तो नवीन पटनायक उस खेमे में न जाएं जो मोदी को हर हाल में पीएम की कुर्सी से हटाना चाहता है.