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बीजेपी-शिवसेना में गठबंधन के बाद भी तकरार क्यों है ?

आगामी चुनाव में बीजेपी हालात को भांपकर अपने सहयोगियों को साधने में लगी है. यही कारण है कि शिवसेना की इच्छानुसार बीजेपी महाराष्ट्र में गठबंधन कर लिया है. लेकिन ऐसा क्यों है कि गठबंधन के बाद भी शिवसेना का तेवर नरम नहीं पड़े हैं.

अभी तक सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियां आमने सामने थीं. अब जब सीटों पर बात बन गई है तो सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरु हो गई है. शिवसेना ने बीजेपी से कहा है कि अगर बीजेपी को ये शर्त पसंद नहीं है तो वो गठबंधन तोड़ सकती है. शिवसेना के नेता रामदास कदम ने कहा,

”शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन दो शर्तों पर हुआ है. पहला कोंकण में नानार रिफाइनरी परियोजना को खत्म करना और दूसरा है मुख्यमंत्री पद को ढाई-ढाई साल के लिए बांटना. अगर बीजेपी अपने वादे को पूरा नहीं करना चाहती तो वह उसे अभी ही गठबंधन तोड़ देना चाहिए.”

इससे पहले संजय राउत ने भी कहा था अगर बीजेपी को 2014 के मुकाबले 100 सीटें कम मिलती हैं तो एनडीए तय करेगी की अगला पीएम कौन होगा. शिवसेना मौका को भुनाना चाहती है. लिहाजा वो अपनी शर्तों पर गठबंधन में जाना चाहती है ऐसे में ये कतई नहीं समझना चाहिए कि 23 सीटों लेकर भी शिवसेना चुप बैठेगी.

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