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Pulwama Attack: सरकारी रिकॉर्ड में शहीद नहीं हैं पुलवामा में कुर्बानी देने वाले वीर सपूत

जिनके जाने का ग़म इंसानियत को झकझोर रहा है. जिनके लिए देश आंसू बहा रहा है और जिन्हें पूरा देश शहीद शहीद कहकर याद कर रहा है. विड़वना देखिए सरकार के रिकॉर्ड में उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा.

Pulwama Attack: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में जिन सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों की शहादत हुई है सरकारी हिसाब किताब में उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा. सीआरपीएफ की 78 गाड़ियों के काफिले पर जैश आतंकी ने 350 किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी से हमला किया और जब बस में कार भिड़ाई गई उसके परखच्चे उड़ गए. पीएम मोदी ने हमले के बाद कहा है कि इस हमले का बदला लिया जाएगा. लेकिन इस हमले के बाद एक बार फिर से मांग उठी है कि अर्धसैनिक बलों को भी शहीद का दर्जा दिया जाए. क्योंकि अगर थलसेना, नौसेना और वायुसेना का जवान ड्यूटी के समय जान गंवाता है तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है और अर्धसैनिक बलों को शहीद नहीं माना जाता है.

आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव  ने ट्वीट करके कहा है,

आतंकियों से लड़कर शहीद हुए अर्धसैनिक बलों (CRPF, BSF, ITBP etc) के जवानों को सरकार शहीद तो बोलती है, लेकिन शहीद का दर्जा नहीं देती. हमारी पुरज़ोर मांग है कि पैरामिलिट्री के जवानों को शहीद के दर्जे के साथ-साथ शहीद परिवारों को मिलने वाली सभी सुविधाएं भी मिलनी चाहिए. जय हिंद, जय भारत.

आपको समझना होगा कि अर्धसैनिक बल और सेना में क्या फर्क है. यहां सिर्फ सैनिकों को शहीद का दर्जा देने की ही बात नहीं है बल्कि शहादत देने वाले जवान के जाने के बाद उसके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में भी फर्क है. यही कारण है कि अभी इसी साल जनवरी में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के रिटायर्ड कर्मचारियों ने मांग की है.

  1. वन रैंक वन पेंशन
  2. 2004 से बंद पेंशन
  3. पैरा मिलिट्री सर्विस पे
  4. अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड का गठन
  5. सीपीसी कैंटीन पर 50% जीएसटी छूट
  6. एक्स मैन को शहीद का दर्जा

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के रिटायर्ड कर्मचारियों ने सरकार को अल्टीमेटम भी दिया था कि चुनाव से पहले उनकी सुविधाओं को लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो मार्च में काला दिवस मनाएंगे. कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा से मुलाकात भी की थी.

इतना ही नहीं तमाम अर्धसैनिक बलों के रिटायर हो चुके जवानों ने कहा है कि गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के मार्चिंग कंटिंजेंट्स को शामिल नहीं किया गया ये गलत है. 20,00,000 अर्धसैनिक बल परिवारों ने अपनी मांगों को लेकर पीएम से ये मांग की है.

मौजूदा वक्त में लगभग 10,00,000 सेवारत अर्धसैनिक बल के अलावा 50,00,000 लोग इन बलों से इनके परिवार के तौर पर सारे देश में जुड़े हैं जो एक समूह के तौर पर सरकार पर लगातार ये दबाव बनाते रहे हैं कि उन्हें भी सेना की तर्ज पर सम्मान मिले. देश में आंतरिक और सीमा संबंधित सुरक्षा ड्यूटी में यही बल रक्षात्मक भूमिका निभाते हैं और इन्हें अभी भी कई मामलों में दोयम दर्जे का व्यवहार मिलता रहा है. इनसे जुड़े संगठन बार बार बेहतर करने की मांग करते रहे हैं.

भारतीय सेना और Central Armed Police forces में बहुत बड़ा फर्क है

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