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रॉबर्ट वाड्रा मामले का फायदा किसको मिलेगा मोदी या प्रियंका ?

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और पीएम मोदी जब चुनाव प्रचार करते थे तो रॉबर्ट वाड्रा के मामले में जमकर कांग्रेस की खिंचाई करते थे. बीजेपी के तामाम नेताओं और खुद पीएम मोदी ने गांधी परिवार के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को मनमोहन सिंह की केंद्र सरकार और हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने गैरकानूनी ढंग से आर्थिक लाभ मिलने की बात कही है.

पीएम मोदी लगातार ये कहते रहे कि अगर वो सत्ता में आए तो रॉबर्ट वाड्रा सलाखों के पीछे होंगे. चुनाव खत्म हुए, मोदी सत्ता में आए और अभ दूसरे चुनाव की तैयारी भी हो रही है लेकिन वाड्रा मामला पूछताछ से ज्यादा नहीं बढ़ सका है. चुनाव आने वाले है और बीजेपी ने वॉड्रा का मामला फिर से उठाना शुरु कर दिया है. ईडी लगातार वॉड्रा से पूछताछ कर रही है. 2014 और 2019 में फर्क ये है कि तब प्रियंका राजनीति में सक्रिय नहीं थीं और अभ वो कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं.

जिन मामलों में प्रियंका के पति वॉड्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन मामलों में रॉबर्ट वाड्रा को केंद्र सरकार की एजेंसियां लगातार लंबी पूछताछ के लिए बुला रही हैं. अगले लोकसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा जो राजनीतिक सभाएं कर रही है, उनमें मंच से रॉबर्ट वाड्रा का नाम लेकर प्रियंका गांधी को घेरने की कोशिश हो रही है. लेकिन प्रियंका अपने पति के मामले में रक्षात्मक नहीं हैं बल्कि आक्रामक हैं. और उनके बयान इस ओर इशारा करते हैं. प्रियंका ने कई बात कहा है कि उनके पति के खिलाफ मोदी सरकार बदले की भावना से काम कर रही है.

प्रियंका गांधी के बारे में कहा जाता है कि वो भावनात्मक स्तर पर किसी मुद्दे को उठाने में माहिर हैं और उनकी यही कला गांधी परिवार के विश्वस्त रहे अरुण नेहरू की रायबरेली में जमानत जब्त कराने की वजह बनी थी. प्रियंका मोदी को घेरने के लिए लगातार पीड़ित कार्ड का इस्तेमाल कर सकती है. और ये कह सकती है कि अगर वाकई में उनके पति दोषी हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई. और क्योंकि हरियाणा सरकार भी पांच सालों तक सोती रही.

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