पहले दिन लखनऊ में 15 किलोमीटर लंबा कामयाब रोड-शो और उसके बाद कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठकों का दौर शुरू हुआ. वो कांग्रेस दफ्तर जहां पर लोग भटकते नहीं थे वहां लोगों का जमावड़ा लगने लगा और लोग प्रियंका गांधी से मिलने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं. हालात ये है कि कार्यकर्ता घर से खाना बांध कर ला रहे हैं और रात भर जागकर प्रियंका गांधी से मिलने का इंतजार कर रहे हैं
लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी को लेकर कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनाई गईं प्रियंका गांधी के काम करने का तरीका कुछ लोगों को राज आ रहा है और कुछ लोग सर्दी की रात में जागकर परेशान भी हैं. प्रियंका गांधी के तेवर ने जाहिर कर दिया है कि वो कुछ बड़ा कर के मुड में आईं हैं. प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दो दिन 15 घंटे तक काम किया, पहले दिन सुबह चार बैठकों का दौर शुरु हुआ. दूसरे दिन 2.30 बजे तक पार्टी कार्यकर्ताओं संग बैठक की. प्रियंका गांधी हर लोकसभा सीट के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही हैं.
पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, जिला अध्यक्षों और ब्लॉक लेवल के नेताओं के साथ बैठकों के बाद प्रियंका ये आंकलन कर रही हैं कि कितना और कहां काम करना है. जिन 41 सीटों की जिम्मेदारी प्रियंका को मिल हैं वहां कांग्रेस की राह आसान नहीं है. मुकाबला योगी और मोदी और सपा-बसपा से है इसलिए प्रियंका कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. 1989 के बाद से यूपी में कांग्रेस कि जमीन खिसकनी शुरू हुई और लगातार वोट प्रतिशत घटता गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 543 सीटों में से सिर्फ 44 सीटें मिलीं. भाजपा को 282 सीटें मिलीं और वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को 31 फीसदी, कांग्रेस को 19.52 फीसदी वोट मिला.
कांग्रेस को इन हालातों से उबारना प्रियंका के लिए आसान नहीं होगा. लेकिन एक बाद तो तय है कि प्रियंका ने जिस रफ्तार से काम शुरु किया है उसने दूसरे दलों के नेताओं को चौकन्ना कर दिया है. और ये भी तय है कि अगर प्रियंका इसी तरह से डटी रहीं तो फिर सपा-बसपा गठबंधन के अलावा बीजेपी के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाएंगी.