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कितना महत्वपूर्ण है PM मोदी का दक्षिण भारत का दौरा ?

दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका है और पीएम मोदी के लिए दक्षिण भारत को साधना जरूरी है. आंध्र को स्पेशल राज्य का स्टेटस न मिलने के कारण आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नाएडू ने एनडीए से रिश्ता खत्म किया और अब मोदी आंध्र में नई राजनीति की शुरूआत करने जा रहे हैं. टीडीपी के एनडीए से अलग होने के बाद पीएम की ये पहली आंध्र यात्रा है.

गुंटुर में रैली, पेट्रोलियम और गैस से जुड़ी 6,825 करोड़ रुपये की दो परियोजनाओं का उद्घाटन, नेल्लोर में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक तटीय टर्मिनल की आधारशिला ये वो काम हैं जिनके जरिए मोदी दक्षिण भारत और खासकर आंध्र में अपनी पकड़ बढ़ाने की कोशिश करेंगे.

तमिलनाडु इकाई तिरुपुर में सार्वजनिक रैली, तिरुपुर में 100 बिस्तरों वाले राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की स्वास्थ्य सुविधा का शिलान्यास, त्रिची हवाईअड्डे पर एक नई एकीकृत इमारत और चेन्नई हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण की आधारशिला, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एन्नोर कोस्टल टर्मिनल का उद्घाटन, चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की मनाली रिफाइनरी के लिए कच्चे तेल पाइपलाइन का उद्घाटन, चेन्नई मेट्रो रेल के 10-किमी खंड पर यात्री सेवा का उद्घाटन.

ये वो काम हैं जो यहां पीएम करने वाले हैं. कोयंबटूर, पोलाची, इरोड, करूर, तिरुपुर, ऊटी और सालेम लोकसभा सीटों पर पीएम मोदी का खास फोकस है. आंध्र में भी मोदी दूसरे सहयोगियों की तलाश कररहे हैं और टीडीपी का विकल्प खोज रहे हैं.

पीएम मोदी कर्नाटक में उत्तरी कर्नाटक के हुबली से प्रचार की शुरुआत की है. बीजेपी को साल 2014 के लोकसभा चुनावों में 28 में से 17 सीटें मिली थीं. हुबली उत्तरी कर्नाटक का दिल है. यह वो इलाका है जहां चुनावों में बीजेपी के मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है और यहीं से पार्टी को सबसे ज़्यादा सीटें भी मिली थीं. उत्तरी कर्नाटक में मुंबई-कर्नाटक और हैदराबाद-कर्नाटक के क्षेत्र शामिल हैं. इस क्षेत्र में लिंगायत समुदाय का बहुमत है और राज्य में बीजेपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं.

ऐसे में दक्षिण भारत में का ये दौरा मोदी के लिए बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि बीजेपी हिंदी पट्टी में होने वाले नुकसान की भरपाई मोदी इन्हीं राज्यों से करना चाहते हैं.

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