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गन्ना किसान लाठी खाए, विपक्ष कर रहा हाय-हाय

जमीन की कोख से जीवन के लिए जरूरी अन्न पैदा करने वाला अन्नदाता पीटा जाए और उसकी मांगों को लेकर सरकार बेखबर हो जाए तो आप सोचिए कि समस्या कहां है…योगी सरकार ने गन्ना किसानों के हित के लिए क्या किया है क्या नहीं किया है…ये अलहदा प्रश्न है लेकिन सरकार, विपक्ष और किसान के पक्षों को समझना जरूरी है.

जिंदाबाद मुर्दाबाद को छोड़ दीजिए बस ये सोचिए कि क्यों किसानों को पिटने और कल्कट्रेट में मौजूद प्रशासन को पीटने की जरूरत पड़ गई. बिजनौर में मिल मालिकों ने किसानों का भुगतान नहीं किया. तो किसानों ने प्रदर्शन का रास्ता चुना लेकिन सरकारी सुरक्षा तंत्र को ये रास नहीं आया तो किसानों के ऊपर लठैती शुरू कर दी गई. किसान लाठी खाए.

सिर मुंडवाए और मंत्री जी सदन से लेकर सिर्फ एक ही बात कह कह कर अपनी पीठ ठोंकते फिरते हैं कि  हमारी सरकार किसान हितैषी है और हमने गन्ना किसानों के लिए जो किया वो किसी ने नहीं किया. योगी जी पर किसानों को यकीन था कि वो 13 दिनों में गन्ना किसानों के भुगतान का वादा निभाएंगे. उधर चीनी संगठन ने कहा है कि चीनी मिल भी परेशान हैं.

चालू गन्ना पेराई सत्र 2018-19 के शुरुआती चार महीनों में चीनी का उत्पादन 185.19 लाख टन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के उत्पादन आंकड़े 171.23 लाख टन से 13.96 लाख टन यानी 7.5 फीसदी ज्यादा है. इस्मा का कहना है कि 31 दिसंबर तक देशभर में चालू 514 मिलों में चीनी का कुल उत्पादन 185.19 लाख टन हुआ है, जबकि पिछले साल सीजन के शुरुआती चार महीनों में 504 चीनी मिलों में कुल उत्पादन 171.23 लाख टन हुआ था.

ये इसलिए हुआ क्योंकि चालू पेराई सत्र में मिलों ने गन्ने की पेराई जल्दी शुरू कर दी थी, इसलिए उत्पादन पिछले साल से ज्यादा हुआ है. पिराई इसलिए जल्दी शुरू की गई क्योंकि सरकार ने कहा था…पूरे देश की बात करें तो,

समस्या ये है कि सरकार मिलों को मजबूर करके किसानों का भरोसा जीतना चाहती है…तो हो ये रहा है कि ना मिल खुश हैं और ना किसान हैं. यही कारण है कि गन्ना किसानों के बकाया करीब 2 हजार 20 हजार करोड़ की ब्याज की रकम का भुगतान नहीं करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी गन्ना आयुक्त को कड़ी चेतावनी दी है.

अवमानना के मामले में कोर्ट में मौजूद गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी से कोर्ट ने कहा कि, वह दो महीने में बकाए का भुगतान करेंगे. दरअसल हाईकोर्ट ने 2017 में गन्ना किसानों को ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिया था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. क्योंकि किसान भी बैंक से कर्ज लेता है और उसका ब्याज देता है.

इसलिए चीनी मिलों की वजह से भुगतान में हुई देरी पर किसान भुगतान पर ब्याज पाने का हकदार है. मोजूदा सरकार की मुश्किल ये है कि वो किसानों से वादे तो बड़े बड़े कर रही है लेकिन जो मूल समस्या है उसको खत्म करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं और नतीजा ये हुआ है कि विधानसभा में विपक्ष उसे घेर रहे है, सड़क पर किसान लाठी खा रहा है और मिल मालिक कह रहे हैं वो खुद मरे जा रहे हैं भुगतान कहां से करें.

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