Site icon Rajniti.Online

बिहार जीतने के लिए राहुल गांधी कौन सी लीला दिखाएँगे ?

राहुल गांधी के पटना आने से पहले पटना की सड़के उनके पोस्टरों से पाट दी गईं और बिहार कांग्रेस के मुख्यालय सदाकत आश्रम के मेन गेट पर लगाया गया पोस्टर तो ऐसा लगता है कि राम के नाम पर अब बीजेपी नहीं कांग्रेस चुनाव लड़ने वाली है क्योंकि इसमें राहुल को राम के रूप में दिखाया गया. पोस्टर में लिखा.

“वे राम नाम जपते रहे! तुम बनकर राम जियो रे!

एक और बात जो हैरान करती है वो ये कि पोस्टर में राहुल गांधी अकेले नहीं हैं. तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव भी हैं. तीनों को त्रिदेव लिखा गया है. एक और पोस्टर है जिसमें राहुल और प्रियंका हैं जिन्हें शिव और दुर्गा लिखा गया.

गांधी मैदान में गांधी की जन आकांक्षा रैली के लिए लगे पोस्टरों से आप समझ सकते है कि कांग्रेस बीजेपी के पांव उखाड़ने के लिए उन्हीं के पद जिन्हों पर चल रही है.

तो सबसे पहले तो इन पोस्टरों को देखकर एक बात साफ हो जाती है कि ये पोस्टर सवर्ण मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश है. पोस्टर देखकर लगता है कि कांग्रेस हिन्दुओं के लिए नई रणनीति के साथ काम कर रही है.

मंडल और मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस की नीतियों ने जो पार्टी को नुकसान पहुंचाया उसकी भरपाई राहुल गांधी करना चाहते हैं. ऐसे वक्त में जब बिहार में कांग्रेस का जनाधार 1991 के बाद लगातार घट कर रसातल में चला गया है तब राहुल गांधी क्या कर पाएंगे?

1991 में हुए दसवें लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को क़रीब 24% वोट मिले थे लेकिन उसके बाद ये प्रतिशत गिरता गया. 1998 में कांग्रेस को 7.3%, 2004 में 5.4%, 2009 में 10%  वोट मिला. तो अब बिहार में राहुल गांधी वापसी की उम्मीद जरूर कररहे हैं लेकिन ये मुश्किल काम है.

राहुल गांधी करीब 30 साल के बाद पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस की बड़ी रैली को आयोजित कर रहे हैं. इससे पहले 1989 में एक बड़ी रैली इस मैदान में हुई थी. हालांकि 2015 की राजद की स्वाभिमान रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपना संबोधन यहां दे चुकी हैं.

राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस कुनबे को बढ़ाना चाहते हैं. लवली आनंद और अनंत सिंह जैसे नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा है और इससे फर्क पड़ने के आसार हैं. हालांकि राहुल की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो बिहार के क्षत्रपों से सीट शेयरिंग कैसे करते हैं. क्योंकि ये तय करेगा कि बिहार में कांग्रेस प्रदर्शन कैसा रहता है.  

राम की लीला है की बीजेपी 3 से 300 हो गयी और कांग्रेस 400 से 44 पर आ गयी. अब शायद राहुल राम की इस लीला को समझ गए हैं. क्यूंकि हरीश रावत के बाद बिहार कांग्रेस ने राहुल को राम अवतार में पेश करके ये बताने की कोशिश की है की राहुल रामभक्त भी हैं.

आगामी चुनाव बीजेपी कांग्रेस को राम मंदिर के मुद्दे पर ये कहते हुए घेरेगी की कांग्रेसी नेताओं ने राम मंदिर नहीं बनने दिया. इसलिए कांग्रेस ने पहले ही इस मुद्दे पर अपना रुख बदल दिया है. विधानसभा इलेक्शन में भी राहुल गाँधी सॉफ्ट हिन्दुत्व लेकर चले थे जिसका फ़ायदा कांग्रेस को हुआ था.

मध्य प्रदेश के चुनाव में राहुल गाँधी का शिव रूप सामने आया था अब बिहार के गाँधी मैदान में जब राहुल रैली करने पहुंचे तो पार्टी नेताओं ने उन्हें राम रूप में पेश किया. कांग्रेस ये जानती है की राम से बैर ठीक नहीं है. इसका खामियाजा राहुल भुगत चुके हैं. तो क्या अब ये मान लेना होगा की राम राहुल का भी नैया पार करेंगे.

Exit mobile version