मतलब हद है, अगर सरकार के खिलाफ कुछ बोल दो तो राजद्रोही हो जाते हैं और कोई राष्ट्रपिता पर गोलियां चलाने का अभ्यास करे तो उसके साथ नेता फोटो खिंचवाने से भी नहीं हिचकिचाते हैं. 29 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पुतला बनाकर उस पर नकली गोलियां चलाने वाली पूजा शकुन पांडे को अब इस बात से भी एतराज है कि नोटों पर बापू की तस्वीर क्यों है.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की नेता पूजा शगुन पांडे पर केस तो दर्ज हुआ है लेकिन उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. अब उन्होंने एक और बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि,
“मैं गांधी को नहीं मानती। क्या बापू ही स्वतंत्रता के लिए जिम्मेदार हैं, जो नोटों पर उनका फोटो आता है.अगर गांधीगिरी से देश चल रहा है तो सैनिकों को चरखा थमा दिया जाना चाहिए’
हिंदी के न्यूज चैनल न्यूज 24 से बातचीत में शगुन ने ये बयान दिया. उन्होंने कहा है,
“राष्ट्रपिता क्या संवैधानिक पद है? मैंने राष्ट्रपिता नहीं सुना। हमने आरटीआई डाली और इस बारे में पूछा- क्या बापू ही आजादी के लिए जिम्मेदार हैं तो क्या अन्य बलिदान देने वाले बेकार हैं, जो गांधी ही नोटों पर छपते हैं? और वह बंदूक महज खिलौना थी। मैं गांधी को नहीं मानती। मुझे अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है? मैंने अपने कार्यालय और पारिवारिक सदस्यों के बीच ये सब किया। हर साल 30 जनवरी को मनाते हैं। इस बार इस आयोजन को थोड़ा अलग कर दिया, तो तूफान मच गया। मैं देश के संविधान को सर्वोपरि मानती हूं।”
अब बताइए इस बयान से क्या किसी की एतराज नहीं होना चाहिए. जिस देश में राष्ट्रपिता के बारे में कोई कुछ भी बोल सकता हो और उससे बाल भी बांका ना होता हो वहां आप समझ सकते हैं. हवा किस दिशा में बह रही है. अगर कोई ये कह दे कि उसे डर लगता है तो अपराध और कोई खुल्लमखुल्ला कहे कि वो राष्ट्रपिता की तस्वीर नोटों पर पसंद नहीं करता तो वो सराहनीय है. वाह!