हर साल बजट से लोगों को काफी उम्मीदें होती हैं. बजट के बारे में सबकुछ जानना भी लोग चाहते हैं. लेकिन बजट में इस्तेमाल होने वाले कुछ ऐसे शब्द होते जिनके बारे में आपको जानना चाहिए.
1. वित्तीय वर्ष
2. शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन
3. राजकोषीय घाटा का सवाल
4. टैक्स स्लैब
5. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर
ये वो शब्द हैं जिनका इस्तेमाल बजट में सबसे ज्यादा होता है. तो चलिए एक एक करके आपको इन महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बताते हैं. सबसे पहले वित्तीय वर्ष के बारे में जान लीजिए,
1. वित्तीय वर्ष
वित्तीय वर्ष से मतलब एक साल से है. यानी भारत के हिसाब से एक वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक चलता है. मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष में कई बदलाव किए हैं. सरकार की कोशिश है कि इसकी वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसंबर तक हो करना चाहती है.
2. शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन
इसको आप ऐसे समझिए कि कोई शेयर बाज़ार में एक साल से कम समय के लिए पैसे लगा कर मुनाफा कमाता है तो उसे अल्पकालिक या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन कहते हैं. इस पर 15% तक टैक्स लगता है. वहीं अगर 1 साल से ज्यादा वक्त के लिए कोई पैसा लगाता है तो इसे दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है. मोदी सरकार ने 2018-19 के बजट में इस पर 10% टैक्स का प्रावधान रखा था. इस बार कहा जा रहा है कि सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटन गेन की समय सीमा में बदल सकती है
3. राजकोषीय घाटा का सवाल
ये ठीक वैसा ही है जैसे आप महीने में 10 हजार रूपया कमाएं और आपका खर्चा हो 15 हजार. सरकार भी जब सालाना आमदनी से ज्यादा खर्च करती है तो उसे राजकोषीय घाटा कहते हैं. क्योंकि ज्यादा खर्च करने के लिए उसे कर्ज भी लेना पड़ता है तो कर्ज भी उसमें शामिल है. 2017 में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि साल 2017-18 में राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी का 3.2% होगा. लेकिन सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ा है.
4. टैक्स स्लैब
टैक्स स्लैब से मतलब ये है कि सरकार कितनी कमाई होने तक टैक्स नहीं लेगी. जैसे अगर टैक्स स्लैब ढाई लाख है तो अगर आप ढाई लाख कमाते हैं तो फिर फिर आपको टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन अगर कमाई उससे ज्यादा है तो आपको टैक्स देना होगा. इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत निवेश पर दी जाने वाली करमुक्त आय की सीमा को भी 1.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख किये जाने की संभावना है.
5. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर
प्रत्यक्ष कर वो हैं जो हम सरकार को सीधा देते हैं. जैसे इनकम टैक्स और किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स आते हैं. अप्रत्यक्ष कर वो हैं जो किसी सर्विस प्रोवाइडर, प्रोडक्ट या सेवा पर लगते हैं जैसे जीएसटी है जिसने वैट, सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, लग्जरी टैक्स जैसे अलग-अलग टैक्स की जगह ले ली है.