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‘बेरोजगारी ने तोड़ा 45 सालों का रिकॉर्ड’, राहुल ने कहा ‘NAMO2GO’

रोजगार के मोर्चे पर भले ही मोदी सरकार ये दावा करती हो कि उसने स्किल डेवलवमेंट योजना के माध्यम से युवाओं को रोजगार दिया और मुद्रा ने स्वरोजगार दिया है लेकिन राहुल गांधी समेत लगभग पूरा विपक्ष सरकार को रोजगार के मोर्चे पर नाकाम बता रहा है.

विपक्ष के इन आरोपों को बल मिला बिजनेस स्टैंडर्ड न्यूज पेपर की उस रिपोर्ट से जिसमें कहा गया है कि देश में रोजगार के हालात बहुत खराब हैं. खबर में दावा किया गया है कि नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ़िस के एक सर्वे में सामने आया है कि साल 2017-18 में बेरोज़गारी की दर पिछले 45 साल में सबसे ज़्यादा रही है.

खबर के मुताबिक इस रिपोर्ट को जारी नहीं होने दिया गया और इसको भारत की राष्ट्रीय स्टैटिस्टिक्स कमीशन (NSO) ने अपनी मंज़ूरी दे दी थी. ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस हफ्ते में NSO से जुड़े दो अधिकारियों ने ये कहते हुए त्यागपत्र दे दिया कि सरकार ने उनकी रिपोर्ट को जारी करने से मना किया.

जैसे ही रिपोर्ट लीक होने की खबर अखबार में छपी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला करते हुए ट्वीट किया कि सरकार रोजगार के मोर्चे पर फेल हो गई है,

राहुल गांधी ने अखबार की खबर को शेयर किया है और लिखा है कि नमो जॉब्स! एक साल में दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया गया था. पांच साल बाद उनकी रोज़गार से जुड़ी लीक हुई रिपोर्ट एक राष्ट्रीय त्रासदी की तरह सामने आती है. पिछले 45 साल में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी इस वक़्त है. सिर्फ़ 2017-2018 में ही 6.5 करोड़ युवा बेरोज़गार हैं.”

विपक्ष का हमला इतना तीखा था कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को सफाई देते हुए कहना पड़ा कि देश में रोज़गार की स्थिति से जुड़ी रिपोर्ट ठीक नहीं है.उनका कहना है कि,

‘जिस रिपोर्ट के बारे में बात की जा रही है वो ‘सत्यापित नहीं है’ और इस रिपोर्ट के लिए इस्तेमाल किए गए ‘डेटा को भी सत्यापित नहीं किया जा सका है. सरकार मार्च तक रोज़गार के बारे में रिपोर्ट जारी करेगी.’

क्या है रिपोर्ट में ?

ये रिपोर्ट हैरान इसलिए भी करती है क्योंकि युवाओं ने रोजगार के लिए ही मोदी को बड़ी तादाद में वोट दिया था. लेकिन मोदी सरकार आने से पहले 2011-12 में बेरोज़गारी दर 2.2% थी. 1972-73 में यो सबसे ज़्यादा थी. लेकिन बीते साल तो इसने सभी रिपोर्ड तोड़ दिए.

इस रिपोर्ट के लिए जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच आंकड़े जमा किए गए थे. नोटबंदी और जीएसटी के बाद रोज़गार से जुड़ा ये पहला सर्वे था. और इस सर्वे में ये साफ हुआ है कि मोदी सरकार के इन कदमों ने रोजगार खत्म किए हैं.

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