राम मंदिर पर मोदी सरकार ने नया दांव चला है. सरकार मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका लेकर पहुंची है. जिसमें कहा गया है कि विवादित जमीन के आस-पास जो अविवादित जमीन है उस पर से वो यथास्थिति हटा ले और जमीन का वो हिस्सा उसके मूल मालिक को वापस कर दे.
चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार का ये बड़ा दांव माना जा रहा है. क्योंकि राम मंदिर मामले में मोदी सरकार के रवैये को लेकर हिंदुओं में सरकार के खिलाफ नाराजगी है. नई याचिका में सरकार ने कहा है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ विवादित जमीन के आसपास जो 67 एकड़ जमीन है वो अधिग्रहित है. विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ पर है. ऐसे में इस अविवादित जमीन को इसके मूल मालिक को वापस कर दिया जाए.
वो पक्ष जो राम मंदिर बनवाने की मांग कर रहा है वो है रामजन्मभूमि न्यास. न्यास ने 1991 में अधिग्रहित की गई अतिरिक्त जमीन को मूल मालिकों को वापस करने की मांग की थी. लेकिन 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस 67 एकड़ की जमीन के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
नरसिम्हा राव सरकार ने विवादित 0.313 एकड़ भूमि के साथ ही 67 एकड़ जमीन को भी अधिग्रहित किया था. इस्माइल फारुकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था कि बची जमीन उसके सही मालिक को वापस करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस जमीन में से 40 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है.