लंबे इंतजार के बाद प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री हुई और कांग्रेस ने उन्हें महासचिव बनाकर उत्तर प्रदेश के पूरब वाले हिस्से का प्रभार सौंप दिया. राहुल गांधी के इस दांव को राजनीति में मास्टरस्ट्रोक की तरह पेश किया जा रहा है. लेकिन यहां एक सवाल अहम हो जाता है कि प्रियंका गांधी को पूरब की जिम्मेदारी ही क्यों सौंपी गई.
ये अलहदा प्रश्न है कि प्रियंका गांधी के आने से यूपी में क्या कमाल करेगी लेकिन यहां प्रश्न ये है कि यूपी के उस छोटे हिस्से की कमान क्यों सौंपी गई जहां पर पहले से ही बीजेपी के दिग्गजों डटे हुए हैं. प्रियंका गांधी को लेकर ये कहा जा रहा है कि वो कांग्रेस के लि गेमचेंजर साबित होंगी. लेकिन कैसे क्योंकि अगर उन्हें राजनीति में आना ही था उन्हें पूरे यूपी का प्रभार क्यों नहीं सौंपा गया. क्योंकि उन्हें एक हिस्से तक सीमित कर दिया गया.
अभी ये भी साफ नहीं है कि प्रियंका कहां से इलेक्शन लड़ेंगी. हां ये खबर जरूर आ रही है कि राहुल रायबरेली और प्रियंका अमेठी से मैदान में उतर सकती हैं. दूसरी तरफ ये भी खबर है कि प्रियंका चुनाव नहीं लड़ना चाहती वो सिर्फ कांग्रेस को यूपी में मजबूत करने के लिए काम करेंगी. खैर जो भी हो कांग्रेस के कई नेता खुश हैं और उन्हें लगता है कि 1984 के बाद यूपी में लगातार कमजोर होगी कांग्रेस अब मजबूत होगी.
प्रियंका गांधी को 42 सीटों वाले अवध की जिम्मेदारी है. उस हिस्से की जहां 2014 में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें ही मिली थी. ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस ने कभी यहां पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. 2009 में यहां कांग्रेस 15 सीटें जीतीं थीं. लेकिन 2014 में यहां पार्टी को सिर्फ 10 प्रतिशत वोट मिले थे. कांग्रेस को लगता है कि 2009 में उसे जो कामयाबी मिली उसे प्रियंका दोहराएंगी क्योंकि यहां पार्टी का वोट बैंक खिसका नहीं है.
10 फरवरी दो प्रियंका गांधी लखनऊ में एक बड़ी रैली करने वाली हैं. पूरी कांग्रेस की राज्य इकाई इस रैली की तैयारियों में जुटी है. पूरब के मोर्चे को फतेह करने के लिए प्रियंका अपनी टीम भी तैयार कर रही हैं. कांग्रेस की कोशिश होगी की 10 फरवरी को जब प्रियंका गांधी लखनऊ में आएं तो उनका स्वागत करने के लिए लाखों लोग रैली मैदान में मौजूद हों.