इस बार कुंभ में 12 करोड़ लोगों आएंगे. ये संख्या 2013 में लगे महाकुंभ से 2 करोड़ ज्यादा है. महांकुभ 144 में एक बार लगता है, यानी हर 12 पूर्ण कुंभों के बाद एक महाकुंभ होता है. इस बार अर्धकुंभ है लेकिन फिर भी इसके बारे में कहा जा रहा है कि मेले में महाकुंभ से 2 करोड़ ज्यादा लोग आएंगे. अब सवाल ये है कि इतने लोगों का पेट कैसे भरेगा?
ज्यादातर तीर्थयात्री तो यहां पर अपना खाना लेकर आते हैं. और जो यात्री खाना नहीं लाते उनके लिए धार्मिक संगठन और तीर्थयात्री खुद भी कैंप लगाकर खाने का इंतजाम करते हैं. प्रशासन भी खाने पीने की चीजें मेले में मुहैया कराता है. मेला स्थल पर चावल, आटा, चीनी और खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल बांटने के लिए 5 गोदाम और 160 उचित मूल्य की दुकानें लगाई गई हैं.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने पूरी तैयारियां की हैं. धार्मिक कैंपों को मुफ़्त में रसद दी जाती है और बाकी ग़रीबी रेखा से नीचे के श्रद्धालुओं को सस्ती दरों पर राशन दिया जा रहा है. मेले के लिए करीब डेढ़ लाख तीर्थयात्रियों को कार्ड दिए गए हैं जिनकी मदद से वे एक महीने तक सस्ता राशन ले पाएंगे. इस कार्ड से 2 किलो चावल, 3 किलो आटा, साढ़े सात किलो चीनी और चार लीटर मिट्टी का तेल लिया जा सकता है.
कुंभ मेले के लिए 5,384 टन चावल, 7,834 टन गेहूं का आटा, 3,174 टन चीनी और 767 किलोलीटर मिट्टी के तेल की व्यवस्था की गई है. यानी अगले 49 दिनों तक ये राशन लोगों का पेट भरेगा. मुफ़्त और स्वच्छ पेयजल के लिए 160 डिस्पेंसर लगाए गए हैं. अगर कोई बीमार होता है तो 100 बिस्तरों वाला मुख्य अस्पताल और 10 छोटे अस्पताल बनाए गए हैं. 86 एंबुलेंस हैं, नौ रिवर एंबुलेंस और एक एयर एंबुलेंस की भी व्यवस्थान की गई है.
खाने के बाद शौच की जरूरत महसूस होती है तो 1 लाख 22 हज़ार शौचालय लगाए गए हैं. 20 हज़ार कूड़ेदान रखे गए हैं और 22 हज़ार सफ़ाई कर्मचारी रखे गए हैं. कुल मिलाकर मेले के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. आप मेले का आनंद लेने के लिए जा सकते हैं.