चुनाव सिर पर है और मोदी सरकार को वोटरों को खुश करने के लिए खूब सारा पैसा चाहिए. लेकिन ये पैसा आएगा कहां से ? क्योंकि चुनाव से पहले मोदी सरकार लोकलुभावन बजट पेश करना चाहती है लेकिन सरकार के पास पैसा नहीं है.
सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण, किसानों की कर्ज माफी, यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूआईबी) जैसी घोषणाओं को अगर अमल में लाना है तो इसके लिए सरकार को पैसा चाहिए. आने वाले अंतरिम बजट में इसको लेकर सरकार को बड़े फैसले करना है. बढ़ते राजकोषीय घाटे और कम राजस्व संग्रह के चलते सरकार आर्थिक मोर्चे पर तंगहाल है लिहाजा पैसा सिर्फ आरबीआई से ही आ सकता है.
आरबीआई अंतरिम लाभांश के तौर पर सरकार को मोटी रकम दे सकता है. खबर ये है कि सरकार को 30 हजार से 40 हजार करोड़ रूपया मिल सकता है. ये भी खबर आ रही है कि ये पैसा 50 हजार करोड़ भी हो सकता है.
इस बार आरबीआई सरकार को पिछले साल के मुकाबले तीन से चार गुना ज्यादा पैसा दे सकता है.मोदी सरकार काफी दिनों से इस कवायद में लगी थी इसी कारण उर्जित पटेल से टकराव हुआ था. दरअसल सरकार आरबीआई के आरक्षित कोष के ढांचे को बदलकर उससे साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये हासिल करना चाहती है. इसी वजह से हंगामा हो रहा है.
अब आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं और आरबीआई के आरक्षित कोष पर फैसले के लिए बिमल जालान के नेतृत्व में कमेटी गठित हो चुकी है जो इसका फार्मूला तय करेगी कि आरबीआई को अपना आरक्षित कोष कितना रखना चाहिए. इस फार्मूले से पहले ही मोदी सरकार को आरबीआई मोटा पैसा दे सकता है.
2017-18 वित्त वर्ष में आरबीआई ने 10 हजार करोड़ सरकार को दिए थे. लेकिन बार ये रकम पचार हजार करोड़ भी हो सकती है. जीएसटी से घटे टैक्स कलेक्शन की वजह से सरकार के राजस्व में करीब एक लाख करोड़ तक की कमी आई है और अगर ऐसे में ये पैसा सरकार को मिलता है तो उसके लिए बड़ी राहत होगी. नगदी का प्रवाह बढ़ने के लिए आरबीआई ओएमओ के तहत 50 हजार करोड़ रुपये तक बाजार में डाल सकता है.