लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सामान्य वर्ग को दस फीसदी आरक्षण देने का फैसला करके विपक्ष के बढ़त बनाने की कोशिश की है. बीजेपी ने सामान्य वर्ग की नाराजगी को दूर करने के लिए ये फैसला किया था. लेकिन अब ये फैसला बीजेपी के लिए मुसीबत बन गया है. अब जाट भी बीजेपी से कोटा की मांग कर रहा है.
पश्चिम यूपी में जाट वोटबैंक का अच्छा खासा असर है. 2014 का लोकसभा चुनाव और 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी जिताने में जाटों की बड़ी भूमिका रही है. जाट नेता अजीत सिंह जब दोबारा से अपनी बिरादरी के वोटबैंक पर पकड़ बनाने की कोशिश रहे हैं तब बीजेपी के लिए ये खतरा मोल नहीं ले सकती कि जाट उनसे दूर जाए. लेकिन बीजेपी के लिए अब 10 फीसदी आरक्षण वाला दांव ही मुश्किल बन रहा है.
अब ऑल इंडिया जाट आरक्षण बचाओ महा आंदोलन (AIJABMA) के बैनर तले इकट्ठा हुआ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और मध्यप्रदेश जाटों ने कहा है कि उन्हें भी आरक्षण दिया जाए. जाटों का कहना है कि सरकार ने जाट समुदाय की आरक्षण की मांग नहीं मानकर उनके समुदाय के साथ धोखा किया, जबकि सवर्ण जाति को सात दिन के अंदर दस फीसदी आरक्षण दे दिया गया.
आपको याद होगा कि जाट आंदोलन के लगभग तीन साल बाद हरियाणा में हिंसा हुई और करीब 30 लोगों की मौत हो गई थी. अब जाटों का कहना है कि अगर बीजेपी ने उनकी मांग नहीं मानी तो वो चुनाव में मायावती का समर्थन करेंगे क्योंकि मायावती ने जाटों को आरक्षण देने की बात कही थी. AIJABMA के चीफ कोऑर्डिनेटर धर्मवीर चौधरी का कहना है कि
‘यूपीए सरकार ने केंद्र की नौकरियों में हमें आरक्षण दिया। मगर सुप्रीम कोर्ट में जब इसे चुनौती दी गई तब वर्तमान एनडीए सरकार ने जानबूझकर हमारे केस में अच्छी बहस नहीं की और सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं। इसके बाद से नरेंद्र मोदी हमें सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं। मैं सरकार को चेतावनी देता हूं कि जाटों संग अब चालाकी नहीं चलेगी। हम उन 131 चुनावी क्षेत्रों में प्रचार करेंगे जहां जाटों की भाजपा को हराने के लिए महत्वपूर्ण आबादी है।’
2015 में भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू के नेतृत्व में जाट आरक्षण के लिए एक समिति बनाई थी, लेकिन समिति उनसे एक बार भी नहीं मिली. जाट नेताओं की मार्च 2015 में अमित शाह और पीएम मोदी से मुलाकत हो चुकी है लेकिन जाटों को आरक्षण देने की दिशा में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. अब जब सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण सरकार दे रही है तो जाट फिर से आंदोलित हो रहे हैं.