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कुंभ: आदियोगी के उपासक अघोरियों का सच ?

कुंभ मेले की शुरुआत हो गई है. पूरी दुनिया से लोग मेले में पहुंच रहे हैं. लोग मोक्ष के लिए यहां आते हैं. शरीर को चीरती सर्दी भी लोगों को रोक नहीं पाती. इसी मेले में आते हैं आदियोगी के उपासक अघोरी. अघोरी देखमें डरावने लगते हैं. शरीर पर भस्म मलते, अजीब से गतिविधियां करते ये अघोरी कुंभ की शान होते हैं. लेकिन क्या आप इन अघोरियों के बारे में कितना जानते हैं.

अघोरी महादेव यानी आदियोगी के उपासक होते हैं जिन्हें विनाश का देवता भी कहा जाता है. अघोरी शिव की पत्नी शक्ति की भी उपासना करते हैं. महिलाएं यूं तो अघोरी नहीं बन सकती लेकिन पश्चिम बंगाल में श्मशान घार पर आपको महिलाएं भी अघोरी के भेष में मिल जाएंगी. हम सब मौत से डरते हैं लेकिन अघोरियों की शुरुआत ही श्मशान से होती है. अघोरी आम आदमियों को नैतिक मूल्यों को चुनौती देते हुए नजर आते हैं.

अघोरी समुदाय के बारे में कहा जाता है कि ये नशे में खोए रहते हैं और ये देखने में डरावने होते हैं. श्मशान में रहते हैं और जलती चिताओं के बीच भोजन करते हैं. वहीं अपनी रातें बिताते हैं. ये भी कहा जाता है कि नग्न अवस्था में घूमते अघोरी इंसानी मांस भी खाते हैं और खोपड़ी में खाना खाते हैं.  आम जनमानस में अघोरियों की जो छवि बनी हुई है वो ऐसी है कि उन्हें समाज से कोई मतलब नहीं होता.

अघोर दर्शन का सिद्धांत यह है कि आध्यात्मिक ज्ञान हासिल करना है और ईश्वर से मिलना है तो शुद्धता के नियमों से परे जाना पड़ेगा. अघोरी स्वाभाविक वर्जनाओं का सामना करके उन्हें तोड़ देते हैं. अच्छाई और बुराई के सामान्य नियमों को खारिज कर देते हैं. अघोरियों के बारे में कहा जाता है कि वो इंसानी मांस और अपना मल इसलिए खाते हैं क्योंकि दूसरों द्वारा त्यागी गई इन चीजों का सेवन करके वे परम चेतना को प्राप्त कर सकें.

अघोरी संप्रदाय 18वीं शताब्दी में चर्चा में आया. कहा जाता है कि इस संप्रदाय ने कपालिका संप्रदाय की नीतियों और रीतियों को अपनाया है. कपालिका संप्रदाय में इंसानी खोपड़ी से जुड़ी तमाम परंपराओं के साथ-साथ इंसान की बलि देने की भी प्रथा थी. लेकिन अब ये संप्रदाय अस्तित्व में नहीं है. अघोर संप्रदाय ने कपालिका संप्रदाय की तमाम चीजों को अपने जीवन में शामिल कर लिया है. इस संप्रदाय के लोगों को अपने परिवार या किसी से कोई मलतब नहीं होता.

अघोरियों के बारे में कहा जाता है कि कुछ अघोरी इतनी तीक्ष्ण बुद्धि के थे कि राजाओं को अपनी राय दिया करते थे. एक अघोरी तो नेपाल के एक राजा का सलाहकार भी रहे हैं. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अघोरी जो हो सकता है कि आपसे कुंभ में रूबरू हो जाएं. वो क्यों खास हैं. कहा जता है कि कुछ फर्जी अघोरी भी होते हैं. लेकिन जो असली अघोरी होगा वो शांत होगा और अपनी धुन में रमा दिखाई देगा. ये भी कहा जाता है कि अघोरी नशे में होकर भी अपना ख्याल रखते हैं.

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