मायावती-अखिलेश: इस ‘जोड़ी’ का तोड़ नहीं है !
लखनऊ के ताज होटल में सपा-बसपा के मुखिया मिले तो पुराने गिले खत्म हुए और शुरु हुई नई दोस्ती की कहानी. देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में शामिल यूपी में ये जोड़ी बीजेपी को परेशान करने वाली है क्योंकि इस जोड़ी ने बीजेपी के जातीय गठजोड़ को तोड़ दिया है. दलित और पिछड़ों को साथ लाकर बीजेपी ने खुब वोट बटोरे थे. फिर चांहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव. लेकिन 2019 में काफी कुछ बदल चुका है. सपा-बसपा के साथ आने से सबसे ज्यादा असर बीजेपी की राजनीति पर पड़ा है. ये बात बीजेपी भी अच्छी तरह समझती है.
यूपी का गणित
- सवर्ण 18-20 प्रतिशत
- ओबीसी 42-45 प्रतिशत
- दलित 21-22 प्रतिशत
- मुस्लिम 16-18 प्रतिशत है
सवर्णों का गणित
- ब्राह्मण 8-9 प्रतिशत
- त्यागी (भूमिहार) 2 प्रतिशत
- राजपूत 4-5 प्रतिशत
- वैश्य 3-4 प्रतिशत
जातियों का गणित
- यादव 10 प्रतिशत
- लोधी 3-4 प्रतिशत
- कुर्मी 4-5 प्रतिशत
- मौर्य 4-5 प्रतिशत
- जाटव 14 प्रतिशत
- गैर जाटव 8 प्रतिशत
- अन्य 21 प्रतिशत
ये आकंड़े देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चुनावों में बीजेपी को कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है. यादव, जाटव और मुसलमान वोट को मिला लें तो ये करीब 40 फीसदी हो जाता है. ऐसे में बीजेपी की हर चाल का काट इस गठबंधन के पास नजर आता है. ये दोनों दल जिन वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं उन्हीं का वोट करीब 60 फीसदी के आसपास है. इसमें मिसलमान वोट मिला दें तो ये हो जाता है करीब 64 फीसदी से ज्यादा. ऐसे में मायावती और अखिलेश की जोड़ी का तोड़ निकालना बीजेपी के लिए खासा मुश्किल रहने वाला है. अब यहां सवाल ये है कि इस जोड़ी को ओबीसी, दलित और मुसलमानों का पूरा पूरा वोट तो मिलेगा नहीं. तो चलिए इसे समझने के लिए एक और आकंड़ा देखते हैं.
2012 का विधानसभा चुनाव
- सपा को 29.13 फीसदी
- बसपा को 25.91 फीसदी
- बीजेपी को 17 फीसदी
2007 का विधानसभा चुनाव
- बसपा को 29.5 फीसदी
- सपा को 25.5 फीसदी
- बीजेपी को 17 फीसदी
लोकसभा चुनाव 2014
- बीजेपी को 42.3 फीसदी
- बसपा को 19.5 फीसदी
- सपा को 22.6 फीसदी
ये वो वोट प्रतिशत हैं जो 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में मिला है इन पार्टियों को मिला. इस वोट प्रतिशत को देखें तो भी ये जोड़ी बीजेपी पर भारी पड़ रही है. फिर चांहे वो लोकसभा चुनाव का वोट प्रतिशत हो या फिर विधानसभा का. विधानसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को देखें तो बीजेपी कहीं ठहरती ही नहीं है. ऐसे में अगर इस आंकड़े पर भी गौर करें तो भी बीजेपी के पास इस गठबंधन का तोड़ नजर नहीं आता. अब सभी पार्टियों के आकड़ों को देखें यानी कांग्रेस, बीजेपी, सपा और बसपा. तो किस पार्टी को किस बिरादरी का कितना वोट मिला. तो भी ये जोड़ी बीजेपी पर भारी पड़ रही है.
कांग्रेस का वोट बैंक
2012 2007
वैश्य 21% 10%
मुस्लिम 18% 04%
दलित 17% 04%
राजपूत 13% 05%
बीएसपी का वोट बैंक
2012 2007
जाटव 62% 86%
पासी 57% 53%
अन्य दलित 45% 58%
बाल्मीकि 42% 71%
सपा का वोट बैंक
2012 2007
ब्राह्मण 19% 10%
राजपूत 26% 20%
यादव 66% 72%
अन्य ओबीसी 26% 20%
जाटव 15% 04%
अन्य दलित 18% 16%
मुस्लिम 39% 45%
बीजेपी का वोट बैंक
2012 2007
वैश्य 42% 52%
ब्राह्मण 38% 44%
राजपूत 29% 46%
कोरी/कुर्मी 20% 42%
ये विधानसभा चुनाव के आंकड़े हैं लेकिन ये इस बात को दिखाते हैं कि अखिलेश और मायावती की जोड़ी का तोड़ बीजेपी के पास फिलहाल नहीं है. बीजेपी कोशिश कर रही है कि जातीयों का गठजोड़ और बूथ को मजबूत करके इस जोड़ी को परास्त किया जाए लेकिन ये इतना आसान इसलिए भी नहीं होगा क्योंकि ये दोनों दल आसानी से अपना वोट एक दूसरे को ट्रांसफर करा लेते हैं. ये बात उपचुनाव में साबित हुई और मायावती ने इस बात जिक्र साझा प्रेस कॉन्फ्रेस में भी किया था.