वैसे तो ये अर्द्धकुंभ है लेकिन योगी सरकार इसे महाकुंभ से भी ज्यादा वरीयता दे रही है. इस बार का कुंभ बीजेपी के लिए सियासी तौर पर भी माएने रखता है. योगी सरकार ने कुंभ के लिए अच्छा खासा बजट खर्च किया है और पीएम से लेकर सीएम तक इसको लेकर काफी गंभीर नजर आ रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि प्रयागराज से ही लोकसभा चुनाव का रास्ता निकलेगा. योगी ने कुंभ से पश्चिम बंगाल की राजनीति को भी साधने की कोशिश की है. योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल के मतुआ संप्रदाय को कुंभ मेले में आने का न्योता दिया है.
पश्चिम बंगाल में इस मतुआ संप्रदाय का 74 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव है. 2008 के पंचायत चुनावों से इस संप्रदाय का झुकाव तृणमूल कांग्रेस की ओर बढ़ गया था, ऐसे में टीएमसी और बीजेपी दोनों ही दल इस संप्रदाय के लोगों को अपनी ओर खींचने में लगे हुए हैं.योगी का ये दांव ममला को बेचैन इसलिए कर रहा है क्योंकि वो इस संप्रदाय का खास ख्याल रखती हैं. कुछ दिन पहले ममता ने गाईघाटा के ठाकुरनगर जाकर मतुआ महासंघ की प्रमुख वीणापाणी ठाकुर को ‘बंग विभूषण’ सम्मान दिया था.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को साधने के लिए जो दांव चला है वो अगर कारगर साबित हुआ तो ममला की मुश्किल बढ़ जाएगी. बीजेपी नेतृत्व ने ठाकुरबाड़ी जाकर ‘सारा भारत मतुआ महासंघ’ के महासंघाधिपति मंजुल कृष्ण ठाकुर को निमंत्रण-पत्र सौंपा है. इसी नाम से यहां एक और संघ है, जिसकी संघाधिपति बनगांव की तृणमूल सांसद और ठाकुरबाड़ी की बड़ी बहू ममता ठाकुर हैं. योगी का ये दांव टीएमसी प्रमुख को रास नहीं आ रहा है. टीएमसी का कहना है कि ये निमंत्रण राजनीति से प्रेरित है.