रोज सुबह घर से जब भी स्कूल जाने के लिए निकलते तो बच्चों को ये डर सताता कि आज नदी में कितना पानी होगा. और बच्चों के मां-बाप सोचते पता नहीं आज क्या होगा ? शाम को जबतक बच्चे स्कूल से वापस नहीं लौट आते पूरा परिवार परेशान रहता. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के राहटा गांव के बच्चों के साथ ये परेशानी सालों से थी.
रोजाना बच्चे टिन के डब्बों का सहारा लेकर उफनाती नदी को पार करते थे और स्कूल में पढ़कर उन्हीं डब्बों से वापस अपने गांव लौटते. डौंडीलोहारा ब्लॉक के खरखरा डैम के पास बसे गांव राहटा के बच्चों पर शायद सरकार का ध्यान नहीं गया था. ये भी कह सकते हैं कि सरकार ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा. भले ही वक्त लगा हो लेकिन बलोद के कलक्टर ने बच्चों की ये परेशान समझी और बच्चों के लिए एक नाव की व्यवस्था कर दी है. कलक्टर अंकल का ये तोहफा उन दर्जनों बच्चों की जिंदगी बदलने वाला है जो नदी की लहरों से डरकर स्कूल नहीं जा पा रहे थे. बच्चों को खाली तेल के डिब्बों को रस्सी से बांधकर नाव नहीं बनानी पड़ेगी.
बच्चे कलक्टर अंकल के तोहफे से खुश हैं. बच्चों का कहना है कि बहुत से बच्चे पांचवी के लिए बाद इसलिए नहीं पढ़ पाए क्योंकि राहटा में स्कूल नहीं था. लेकिन अब बच्चे आराम से स्कूल जा पाएंगे. क्योंकि अब राहटा और अरजपुरी गांव के बीच पड़ने वाली नदी को पार करने के लिए उनके पास नाव है. बालोद जिले की कलक्टर किरण कौशल ने कहा कि बच्चों का राहटा के बच्चों के तकलीफ को समझते हुए प्रशासन ने ये कदम उठाया है. बच्चों के लिए जो मोटर बोट दी गई है उसका खर्चा प्रशासन वहन करेगा. और जल्द ही बच्चों के लिए पैडल वाली नाव का इंतजाम किया जाएगा.