सुप्रीम कोर्ट में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोशिशें पहले भी कामयाब नहीं हो पाईं हैं. एक बार फिर कोशिश हो रही है, देखना होगा कि ये कितनी कामयाब होती है. सुप्रीम कोर्ट ऐसी किसी कोशिश को असंवैधानिक करार दे चुका है.फिर भी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगड़ी जातियों के गरीबों को 10% आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
भारत के संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. यही कारण था कि 1991 में जब पीवी नरसिंह राव सरकार ने आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण देने का प्रस्ताव किया तो सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने उसे खारिज कर दिया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा था कि
“संविधान में आरक्षण का प्रावधान सामाजिक गैर-बराबरी दूर करने के मकसद से रखा गया है, लिहाजा इसका इस्तेमाल गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तौर पर नहीं किया जा सकता”.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान सभा में दिए गए डॉ. आंबेडकर के बयान का हवाला दिया था और कहा था कि सामाजिक बराबरी और अवसरों की समानता सर्वोपरि है. इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के नाम से चर्चित इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि
‘आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना संविधान में वर्णित समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है. संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में आरक्षण का प्रावधान समुदाय के लिए है, न कि व्यक्ति के लिए. आरक्षण का आधार आय और संपत्ति को नहीं माना जा सकता’
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के बाद गुजरात, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों की सरकारों के फैसलों को हाईकोर्ट ने खारिज किया. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार जो कर रही है वो ऐतिहासिक पूना पैक्ट और संविधान सभा में हुए आरक्षण को लेकर हुए विमर्श के बाद तैयार हुए अनुच्छेद 15, 16, 340 के प्रावधानों के खिलाफ है. माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद देश में आरक्षण की आग फिर से भड़क सकती है. क्योंकि देश की कुल आबादी में सवर्णों की आबादी 16-17 फीसद है और सरकार उन्हें 10 फीसद आरक्षण दे रही है. इस फैसले का विरोध करने वाले कह रहे हैं कि
- जब 8 लाख की सालाना आमदनी वाला आर्थिक रूप से पिछड़ा है तो फिर इनकम टैक्स की सीमा 250000 रखने का क्या औचित्य है ?
- 8 लाख सालाना यानी लगभग 66 हजार रुपए महीना कमाने वाला गरीब है तो 10-12 हजार रुपए या इससे भी कम की मासिक आमदनी वाले का क्या होंगे ?
- क्या गारंटी है कि सालाना आठ लाख कमाने वाले खुद को गरीब साबित करके आरक्षण का लाभ लेने का जुगाड़ नहीं करेंगे ?
एक तरफ बीजेपी के केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि जब नौकरियां ही नहीं हैं तो आरक्षण से क्या हासिल होगा?, देश में बेरोजगारी 8-9 % पहुंची गई है, शिक्षित बेरोज़गारी दर 16% के करीब है तब आर्थिक आधार पर आरक्षण का क्या मतलब है.