तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के तेवर बदल गए हैं. अब राहुल गांधी हर वो पैंतरा सीख रहे हैं जिससे मोदी के दांव को बेदम किया जा सके. राफेल से लेकर किसानों के मुद्दे को राहुल गांधी ने जोर शोर से उठाया है.
ये जीत का ही असर है कि अब राहुल गांधी अपने तीर बड़ी सफाई से सीधे निशाने पर मार रहे हैं. राहुल गांधी के इस मिजाज को भांपते हुए मोदी ने नया दांव चला और वो ये उन्हें उनके गढ़ में घेरकर वहीं चित कर दिया जाए. यानी उनका मनोबल तोड़ने का इससे अच्छा तरीका क्या होगा कि अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के किले को ध्वस्त करके भगवा फहरा दिया जाए. मोदी ने इस काम के लिए स्मृति ईरानी को चुना है. ईरानी की मदद के लिए यूपी बीजेपी के नेता और योगी आदित्यनाथ तो हैं ही. मोदी इसमें दो फायदे देख रहे हैं. एक, तो ये कि राहुल का ध्यान इन दो सीटों में लगा रहे और दूसरा, कि अगर कांग्रेस यहां बैकफुट पर आती है तो बीजेपी को इसका फायदा दूसरी जगहों पर मिलेगा.
कांग्रेस का ‘मिशन काशी’
मोदी ने दांव चला है तो राहुल कैसे पीछे रहते. राहुल गांधी ने भी अपनी रणनीति को बदला वहीं किया जो मोदी कर रहे हैं. बूथ को मजबूत करने के साथ साथ काशी पर कांग्रेस ने ध्यान देना शुरू कर दिया है. काशी में मोदी का करिश्मा कम होने के बाद कांग्रेस यहां बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस काशी और किसान के सहारे बीजेपी को धूल चटाने की रणनीति पर काम कर रही है. कांग्रेस फरवरी से वाराणसी में किसान यात्रा शुरू करने की योजना बना रही है. यानी राहुल गांधी काशी से मोदी को चुनौती देंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने कहा,
“कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी किसानों के समर्थन के लिए फरवरी में वाराणसी का दौरा करेंगे। उनसे किसान यात्रा में भाग लेने की भी उम्मीद की जा रही है, जिसे कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्य स्तर पर शुरू करेगी।”
मोदी ने दिसंबर में रायबरेली का दौरा किया और अरुण जेटली ने अपने सांसद एलएडी फंड का एक हिस्सा रायबरेली के विकास के लिए देने की घोषणा की, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यहां आकर कांग्रेस के ऊपर वंशवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि अब विकासवाद शुरू होगा.