रायपुर: भूपेश बघेल को राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की कमान दी है, रविवार को विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनके नाम की घोषणा की. छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर वो सोमवार (17 दिसंबर) को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में शपथ लेंगे. शपथग्रहण की तैयारी पूरी कर ली गई है.
वहीं मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार टीएस सिंहदेव ने बघेल और खुद को ‘जय-वीरू की जोड़ी’ बताते हुये शोले का गीत ‘तेरे जैसा यार कहां’ और ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ को दोहराते हुये दावा किया कि वो कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे.
एक लाख सत्तानवे हजार किलोमीटर का सफर अपनी माइलो कार से किया है भूपेश बघेल ने. छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में जमीन पर मजबूत करने के लिए जो मेहनत की है वो उनकी गाड़ियों के मीटर बताते हैं. करीब तीन लाख किलोमीटर का सफर भूपेश ने किया कांग्रेस को यहां तक लाने के लिए. बीते पांच साल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद संभाल रहे भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में लगातार यात्राएं की हैं. भूपेश बघेल ने करीब 1000 किलोमीटर की पदयात्राएं की हैं. जिसमें किसानों से लेकर आदिवासियों के लिए वनाधिकार का मुद्दा है. नोटबंदी और जल जंगल और जमीन के मुद्दों पर उन्होंने रमन सरकार के खिलाफ काफी काम किया है.
छत्तीसगढ़ में ‘हाथ’ को मजबूत किया
- दिसंबर, 1992 में जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तब कांग्रेस के ज़िला अध्यक्ष थे.
- उन्होंने तत्कालीन दुर्ग ज़िले में 350 किलोमीटर की ‘सद्भावना पदयात्रा’ निकाली.
- भूपेश बघेल की 26 साल पहले की उस यात्रा का महत्व कितना आज पता चला.
- 1993 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
- चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. इस बार पांचवी फतह की.
- 2008 में विधानसभा चुनाव भी हारे और दो बार लोकसभा चुनाव हारे.
- 2003 से 2008 के बीच वे विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष भी रहे.
- पिछड़ा वर्ग से आते है. भूपेश बघेल मूल रूप से किसान हैं.
- एक संपन्न किसान परिवार से आते हैं, भिलाई स्टील प्लांट में उनके पूर्वजों ने जमीन दी
- मूल गांव कुरुदडीह में पैदा हुए और 30 किलोमीटर दूर बेलौदी गांव में रहे.
- छठवीं कक्षा में उनके पिता नंदकुमार बघेल ने उन्हें खेती बाड़ी संभालने का काम दिया.
- कांग्रेस नेतृत्व के साथ झीरम घाटी में हादसा होने के बाद जिम्मेदारी संभाली.
- कांग्रेस प्रदेश में 0.73 प्रतिशत के मामूली अंतर से विधानसभा चुनाव हार गई थी.
- दिसंबर, 2013 में जिम्मेदारी संभालने के लिए पार्टी को हताशा से बाहर निकाला.
- राशन कार्ड में कटौती, धान खरीदी और बोनस का मुद्दा मुखरता से उठाया.
- चिटफंड कंपनियों के पीड़ितों के साथ खड़े हुए, सड़कों पर आंदोलन किया.
- बीजेपी की सरकार और मुख्यमंत्री रमन सिंह के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी है.
- शक्तिशाली नौकरशाहों को चुनौती दी राज्य में कांग्रेस की छवि बदली.
- रमन सिंह, बीजेपी और आरएसएस के ख़िलाफ़ खुला बयान देते रहे.
- रमन सिंह सरकार ने भूपेश बघेल को तरह-तरह से घेरने की कोशिश की.
- एसीबी ने भूपेश बघेल, उनकी मां और पत्नी के ख़िलाफ़ FIR तक की.
- कांग्रेस के संगठन को धार देने का काम किया.
बीजेपी बूथ लेबल पर काम कर रही थी तो कांग्रेस के पास संगठन के नाम पर ब्लॉक के नीचे कोई ढांचा ही नहीं था. उन्होंने बूथ स्तर पर काम करना शुरू किया. भूपेश बघेल ने जून, 2017 में कांग्रेस संगठन को बूथ के स्तर पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू की. शुरुआत हुई ट्रेनिंग यानी प्रशिक्षण से. चार सत्रों में छह सात घंटे चलने वाले इस प्रशिक्षण ने कार्यकर्ताओं को बूथ के स्तर पर पहुंचा दिया. प्रदेश के 23 हज़ार से भी अधिक बूथों में से लगभग 95 प्रतिशत बूथों पर कमेटियां बनाई गई और चुनाव में इन कमेटियों ने सक्रियता से भाग भी लिया है. विधानसभा चुनाव में उन्होंने जिस तरह से इस जीत को कांग्रेस की झोली में डाला है, वह भी आसान नहीं था.