आपने ये तो सुना ही होगा कि अगर दुश्मन को कमजोर करना है तो उसकी सबसे मजबूत कड़ी को कमजोर करना जरूरी है. मोदी यही करने वाले है. मोदी रायबरेली में वो सबकुछ करने की योजना बना रहे हैं जो बीजेपी को यूपी में ना सिर्फ मजबूत करे बल्कि कांग्रेस के लिए मुश्किल भी खड़ी करे.
राहुल गांधी राफेल मामले में लगातार मोदी को घेर रहे हैं और उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी ने अनिल अंबानी को तीस हजार करोड़ का फायदा पहुंचाया है. अब पीएम मोदी रायबरेली से राहुल गांधी को ना सिर्फ जवाब दे सकते हैं बल्कि तीन राज्यों में चुनाव हारने के बाद पस्त हो चुके बीजेपी कार्यकर्ता को रेल कोट फैक्ट्री के उद्घाटन के बहाने उत्साह से लबरेज कर सकते हैं.
लोकसभा में रणभूमि बनेगी रायबरेली ?
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को घर में घेरने के लिए मोदी का ये मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रायबरेली दौरा सियासी तौर पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत माएने रखता है. गांधी परिवार के दो धुरंधरों को घेरने के लिए मोदी ने यहां का मैदान चुना है और इलाकाई क्षत्रपों की मदद से यहां मोदी मैदान मारना चाहते हैं. लोकसभा चुनावों को देखते हुए सियासी दलों में रायबरेली और अमेठी में अपने-अपने सिपाहसलारों की तलाश तेज हो गई है. चर्चा तो यहां तक चल रही है कि कुमार विश्वार यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. सोनिया के करीब रहे कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दिनेश सिंह पर भी बीजेपी दांव लगा सकती है.
कांग्रेस की दोनों बड़ी सीटों पर नजर
राजनीति में जोड़ घटाना तो लगा ही रहता है लेकिन रायबरेली और अमेठी में अमित शाह और मोदी माइंड गेम खेल कर गुणा-भाग करना चाहते हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुद दिनेश सिंह और उनके भाई को पार्टी में शामिल कराने रायबरेली आए थे. स्मृति इरानी, अरुण जेटली संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी यहां का दौरा कर चुके हैं. कोशिश उस जातीय समीकरण को साधने की है जो कांग्रेस को जिताता है. रायबरेली में पासी, ब्राह्मण और कुर्मी सबसे बड़ा वोटबैंक है. अगर गठबंधन न हुआ तो सपा के नेता मनोज कुमार पांडेय यहां उतर सकते हैं. मनोज रायबरेली और अमेठी में मजबूत ब्राह्मण नेता हैं. 2017 में उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को हराया था. ब्राह्मण, मुस्लिम और पासी वोटों को जो हासिल करता है वो जीतता है. मोदी की कोशिश इस वोटबैंक को तोड़ने की है.