क्या हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों में चुनाव जीतकर राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख सकते है ? आत्मविश्वास से भरी हुई कांग्रेस तीन राज्यों में अपने मुख्यमंत्री बनाने जा रही है लेकिन क्या वो 2019 में अपना प्रधानमंत्री बना पाएगी ? राहुल गांधी की राह में अब सबसे बड़ा रोड़ा होगा बजट .
कांग्रेस के सामने चुनौतियां क्या हैं ?
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में खुब वादे किए हैं और अब इसको लागू करना एक बड़ी चुनौती है. फिर चांहे वो गौशाला बनाने का वादा हो या फिर बेरोज़गारों को हर महीने 3500 रुपये भत्ता देने का. किसानों को पेंशन और कर्ज माफी का का वचन हो या फिर कृषि उपकरण को जीएसटी से मुक्त रखने का वादा. महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें मुफ्त शिक्षा देने का वादा भी कांग्रेस ने किया है. अलग कांग्रेस ये वादे पूरे कर पाती है तो राहुल लालकिले से तिंरगा फहराने का सपना देख सकते हैं.
क्या आसान है वादों को पूरा करना ?
कैसे पूरे होंगे वादे ये बड़ा प्रश्न है क्योंकि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली के बिलों को आधा करना, घर और जमीन देने का वादा है इसके अलावा एक हेल्थकेयर स्कीम लाने की भी योजना का शुरू की गई है. लेकिन इन वादों को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा. राजस्व को बढ़ाने के लिए कांग्रेस के पास क्या योजना है. इस पर राहुल गांधी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सोचना होगा.
अगर वादे पूरे हुए तो कांग्रेस जीवित होगी !
कांग्रेस के पास तीन नए राज्य हैं और यहां पार्टी अपनी अलग लोगों की समस्याओं को हल कर पाती है उन समस्या से लोगों को राहत दे पाती है जिसको लेकर लोग बीजेपी सरकार से नाराज थे तो कांग्रेस का भला हो सकता है. कांग्रेस के पास ये मौका है वो नजीर बने. बीजेपी सरकार की योजनाओं से बेहतर अगर कुछ पेश किया जाता है तो फिर राहुल 2019 में पीएम बनने का ख्वाब पाल सकते हैं नहीं तो ये दूर की कौड़ी है. क्योंकि इन तीन राज्यो में लोकसभा कि 65 सीटें हैं और बीजेपी ने यहां पर 62 सीटें 2014 में जीतीं थीं. अगर यहां बीजेपी को आधे में राहुल समेट पाते हैं तो फिर वो पीएम के पद के करीब पहुंच पाएंगे.