पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब इन चुनावों का लोग अपने अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं. खासकर हिंदी भाषी तीन राज्यों के चुनावों के नतीजों आने वाले दिनों में अल्पसंख्यकों को खासा प्रभावित करेंगे. 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों की संख्या में इजाफा हुआ है. आंकड़े देखते हैं.
4 गुना बढ़ी मुस्लिम विधायकों की तादाद !
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मुस्लिम विधायकों की संख्या में उछाल आया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस बार चार गुना ज्यादा मुस्लिम विधायक जीते हैं. इन तीनों राज्यों की बात करें तो कुल तीन विधायक चुने गए थे 2013 में लेकिन इस बाद ये आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया है. सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी राजस्थान में हुई है. 2013 के चुनावों में राजस्थान में 2 मुस्लिम विधायक जीते थे, 2018 में 8 मुस्लिम विधायक जीते हैं.
कांग्रेस ने 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया. 7 को जीत मिली. एक मुस्लिम उम्मीदवार बसपा के टिकट पर जीता. भाजपा ने सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार यूनुस खान को टिकट दिया था, सचिन पायलट ने टोंक से उन्हें हरा दिया. पोखरण में कांग्रेस उम्मीदवार सालेह मोहम्मद ने भाजपा के उम्मीदवार महंत प्रताप पुरी को बड़े ही नजदीकी मुकाबले में सिर्फ 872 वोटों के अंतर से हराया.
पिछले 10 सालों से यहां सिर्फ एक मुस्लिम विधायक था. अब ये दो हो गए हैं. दोनों कांग्रेस के विधायक हैं. आरिफ अकील मुस्लिम बहुल भोपाल (नॉर्थ) से 1990 से जीतते आ रहे हैं और आरिफ मसूद भोपाल (सेंट्रल) से चुनाव जीते हैं. बीजेपी ने पूर्व कांग्रेसी मंत्री रसूल अहमद सिद्दीकी की बेटी फातिमा को भोपाल नॉर्थ से टिकट दिया था लेकिन वो हार गईं
2% मुस्लिम आबादी वाले इस राज्ये में दोनों पार्टियों ने एक एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. इसमें कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद अकबर को कवर्धा से जीत मिली, बीजेपी के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा.
सबसे ज्यादा 26 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, 8 उम्मीदवार AIMIM, 9 कांग्रेस और 8 टीआरएस ने उतारा था. एक उम्मीदवार टीडीपी का था. AIMIM के सात उम्मीदवार जीत गए. टीआरएस के एक मुस्लिम उम्मीदवार को जीत मिली. कांग्रेस के सभी उम्मीरवार हार गए. वहीं मिजोरम में कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा नहीं पहुंचा.