विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार लोगों को नोटा कुछ ज्यादा ही पसंद आया है. सभी उम्मीदवारों को खारिज करने (नोटा) के विकल्प को भी मतदाताओं ने क्षेत्रीय दलों से ज्यादा तरजीह दी है. चुनाव आयोग ने चुनाव परिणाम जारी किए हैं और आपको जानकर हैरानी होगी कि लोगों ने नोटा बटन जमकर दबाया.
नोटा ने इस बार कईयों को हराया
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 2.1 प्रतिशत वोट नोटा के खाते में गये.
- मिजोरम में नोटा का प्रतिशत सबसे कम (0.5 प्रतिशत) दर्ज किया गया.
- नोटा का मत प्रतिशत आप और सपा जैसे क्षेत्रीय दलों से ज्यादा.
- छत्तीसगढ़ में आप को 0.9,SP और राकांपा को 0.2 प्रतिशत वोट मिले.
- मध्य प्रदेश में 1.5 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा को अपनाया
- मध्यप्रदेश में सपा को एक और आप को 0.7 प्रतिशत वोट मिले.
- राजस्थान में माकपा को 1.3 प्रतिशत और सपा को 0.2 प्रतिशत मिले
- राजस्थान में नोटा दबाने वाले मतदाताओं की संख्या 1.3 % रही.
- तेलंगाना में माकपा और भाकपा को 0.4% और राकांपा को 0.2% मत मिले.
- तेलंगाना में 1.1 प्रतिशत मतदाओं ने किसी उम्मीदवार को पसंद नहीं किया.
राजस्थान ओर मध्यप्रदेश में कई उम्मीदवार जितने वोटों से हारे उससे ज्यादा वोट नोटा को मिले हैं. हालांकि अगर इस बार नोटा को मिले मतों की तुलना पिछले विधानसभा चुनावसे की जाये तो इसमें गिरावट देखने को मिलती है. मध्य प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में नोटा को 6,52,116 वोट मिले थे. राजस्थान में इस साल 4,67,754 ने नोटा को वोट दिया, पिछले विधानसभा चुनाव में यहआंकड़ा 5,89,923 था. छत्तीसगढ़ में पिछली बार नोटा को 4,01,058 मिले थे, 2018 में यह आंकड़ा 2,85,146 का रहा. उम्मीदवार ये आंकड़े देख कर सोच रहे होंगे कि काश नोटा न होता.