2018 के बजट में सरकार ने शहरों के नवीनीकरण पर ज्यादा जोर दिया था. बजट में स्मार्टसिटी योजना के तहत 100 शहरों को आधुनिक सुविधाओं वाला बनाने का लक्ष्य रखा गया. इस काम के लिए सरकार ने 2.04 लाख करोड़ रुपये खर्ज करने का ऐलान किया था. ये ऐसे शहर होंगे जिसमें स्मार्ट कमांड, स्मार्ट सड़कें, स्मार्ट पार्क जैसी सुविधाएं होंगी.
स्मार्ट शहरों में असीमित ऊर्जा की जरूरत होगी और ये कहां से आएगी ये अहम प्रश्न है. भविष्यके स्मार्ट शहरों या स्मार्ट सिटीज की ऊर्जा संबंधी जरूरतें आज के मुकाबले ज्यादाहोंगी. ये जरूरतें बिजली से पूरी हों ये संभव नहीं है. इसके लिए सौर नीति को धार देने की जरूरत होगी. इसके कुछ उदाहरण हैं.
जापान केफ्यूजीनावा स्मार्ट टाउन में 1000 घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है. इससे फ्यूजीनावास्मार्ट टाउन के कार्बन उत्सर्जन में 70% की कमी आ गई है. इसशहर की माइक्रोग्रिड्स को इस तरह बनाया गया है कि अगर प्राकृतिक आपदा आए तो भी तीनदिन तक शहर की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकें.
भारत में 50 सोलर सिटीज के लिएमास्टर प्लान बनकर तैयार हो चुका है. इसके तहत सौर ऊर्जा घरों की छत पर लगे उन फोटोवोल्टिक सिस्टम्स से तैयार होगी जो सीधे धूप से इसे बनाते हैं. सोलर सिटी में वाटरहीटर, स्ट्रीट लाइटें, वाटर पंप,चूल्हे और ट्रैफिक सिग्नल भी सौर ऊर्जा से चलेंगे. सोलर सिटी से पाँच साल के भीतर परंपरागत ऊर्जा की मांग 10 फीसदी घट जाएगी.
दीव एक ऐसा शहर जहां सौर उर्जा ही सबकुछ है
दीव एक सोलर सिटी है जहां 50 हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में नौ मेगावॉट क्षमता का एक सोलर पार्क बनायागया है. 79 सरकारी दफ्तरों की इमारत पर सोलर पैनल लगाए गएहैं. ये 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा पर चलने वाला पहला शहर बन गयाहै. अब यह शहर हर साल 13 हजार टन कम कार्बनउत्सर्जन करता है.इसने ऊर्जा दरों को 15 फीसदी घटाने में सफलता पाई है.
भारत की कुल सौर क्षमता की बात करें तो इस साल इसने 20 गीगावॉट का आंकड़ा छू लिया है..