पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे. कांग्रेस-बीजेपी दोनों की राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे को हर मोर्चे पर घेर रही हैं. दोनों ही पार्टियां का दावा है कि उन्होंने राजनीतिकसुचिता को जिंदा रखा है. बीजेपी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस को वंशवाद के मुद्दे पर घेर रहे हैं. तीन दिसंबर की रैली में मोदी ने तेलंगाना के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में कहा
‘देश के 29वें राज्य का गठन ‘एक परिवार’ के लिए नहीं हुआ है। तेलंगाना का गठन कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखरराव के परिवार को राज्य को लूटने का अधिकार देने के लिए नहीं हुआ था। सिर्फ यहीनहीं एक दूसरी परिवारवादी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में है।
भाजपा- कांग्रेसवंशवाद का जमकर विरोध करते नजर आए तो वहीं एक दूसरे पर हमले भी किए. लेकिन वंशवाद की हकीकत क्या है?र
मध्यप्रदेश की कुल विधानसभा सीटें -230
- भाजपा -165 विधायकों में से 20 वंशवादसे ताल्लुक रखते हैं।
- कांग्रेस- 58 विधायकों में से 17 वंशवाद से ताल्लुक रखते हैं।
छत्तीसगढ़ की कुल विधानसभा सीटें – 90
- भाजपा -49विधायकों में से 3 वंशवाद से ताल्लुक रखते हैं।
- कांग्रेस- 39 विधायकों में से 6 वंशवाद से ताल्लुक रखते हैं।
राजस्थानकी कुल विधानसभा सीटें- 200
- भाजपा -160 विधायकों में से 23 वंशवाद से ताल्लुक रखते हैं।
- कांग्रेस- 25 विधायकों में से 8 वंशवाद से ताल्लुक रखते हैं।
मध्यप्रदेशऔर राजस्थान में बीजेपी कांग्रेस पर वंशवाद के मामले में भारी है तो वहींछत्तीसगढ़ में कांग्रेस आगे है. यानी कुल मिलाकर कहा ये जा सकता है कि वंशवादहिन्दुस्तान की राजनीति में अमरबेल की तरह बढ़ रहा है और इसके खत्म होने के आसाननहीं है. सच्चाई ये है कि कोई दल ये नहीं कह सकता कि वो वंशवाद से अछूता है.