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आपके पास मोबाइल है और कैंसर से डरते हैं तो इसे पढ़ें !

कैंसर एक ऐसी बीमारी बन गया है जो अगर किसी को हो जाए तो ना सिर्फ मरीज बल्कि मरीज का पूरा परिवार एक अजीब सी दहशत का शिकार हो जाता है. मेडिकल साइंस कैंसर के लड़ने के लिए तमाम शोध कर रही है लेकिन अभी इससे लड़ाई मुश्किल बनी हुई है. अभिनेत्री सोनाली लीजा रे, मनीषा कोईराला, युवराज सिंह, इरफान खान जैसे तमाम नाम  हैं जो कैंसर से लड़ रहे हैं या लड़ चुके हैं. आपको कैंसर के बारे में बताते हैं कि आखिर कैंसर होता कैसे है?

क्यों होता है कैंसर

इंसानके क़ुदरती विकास की प्रक्रिया एक पेड़ के विकास की तरह होती है जैसे बीज से पौधा उगता है, फिर पेड़ बनता है और फिर पेड़ उसकी तमाम टहनियों में बदल जाता है. कैंसर की शुरुआत भी एक कोशिका के अंदर बदलाव से होती है फिर ये फैलता है. कैंसर का बीज पौधा, पेड़ में तब्दील होकर धीरे-धीरे कई शाखाओं में बदल जाता है.

जीन्स को जिम्मेदारी न निभाने में सूरत में लाने के लिए रेडियशन भी जिम्मेदार होता है. शोध इस बात को लेकर भी चल रहा है कि क्या मोबाइल फ़ोन से निकलने वाले रेडिएशन भी आपको कैंसर दे सकता है ? जर्मन फ़ेडरल ऑफ़िस फॉर डेटाप्रोटेक्शन ने एक सूची बनाई है कि और जानकारी दी है कि वन प्लस, हूआवी और नोकियालूमिया जैसे फोन खतरनाक रेडियशन वाले फोन हैं. आईफ़ोन 7 दसवें, आई फ़ोन 8 बारहवें और आई फ़ोन 7 प्लस इस सूची में पंद्रहवें नंबर पर है.

भले ही आपके फोन आपको कैंसर न दें लेकिन कैंसर के कारणों को बढ़ावा जरूर दे सकते हैं. अगर आप अपने फ़ोन का रेडिएशन चेक करना चाहते हैं, तो अपने मॉडल का मैनुअल चेक कर सकते हैं, फ़ोन की वेबसाइट पर, या फ़ेडरल कम्यूनिकेशन्स कमिशन ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स की वेबसाइट भी देख सकते हैं…रेडियो फ्रीक्वेंसी सबसे ज़्यादा आपके फ़ोन के अंदर के एंटीना के पास होता है. तो आप अपने फ़ोन को ख़ुद से पास रखेंगे नुकसान की संभावना ज़्यादा होती है.

कुछ औऱ भी फैक्टर हैं जिसका असर होता है जैसे आप फ़ोन कितनी देर तक इस्तेमाल करते हैं, फ़ोन और पास के मोबाइल टावर के बीच की दूरी, मोबाइल फ़ोन सिग्नल का ट्रैफ़िक इसलिए फ़ोन को स्पीकर या हैंड्सफ्री मोड पर इस्तेमाल करें, कॉल से ज़्यादा मेसेज पर बात करने की कोशिश करें और कम एसएआर लेवल वाला फ़ोन ख़रीदें. कैंसर लाइलाज तो नहीं लेकिन इसका इलाज आसान नहीं है और एक एक बार कैंसर फैल जाए तो फिर इसका इलाज भी नहीं है.

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