लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सरकार की भूमिका से कम नहीं होती. लेकिन उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टी आजकल खामोश हैं. ये खामोशी क्यों हैं? अखिलेश यादव आजकल क्या कर रहे हैं ? ये कुछ प्रश्न पूछने जरूरी हो गए हैं.
शामली में यूपी-100 की गाड़ी से खींचकर फरियादी युवक को पीट-पीट कर मार दिया गया. बुलंदशहर की खबर भी आपको पता है. एक इंस्पेक्टर को बजरंग दल के जिला संयोजक ने जो भीड़ उकसाई थी उस भीड़ ने मार डाला और बाद में फेसबुक पर वीडिया जारी किया कि वो बेकसूर है. एडीजी एलओ ने प्रेस कांफ्रेस में योगेश राज नाम के शख्स का नाम तो लिया लेकिन बजरंग दल का नाम लेने में हिचके. बुलंदशहर हिंसा से जुड़ा हुआ एक शख्स शिखर अग्रवाल जो भाजयुमो का कार्यकर्ता है उसने भी फेसबुक पर अपना वीडियो जारी किया. लखनऊ में आए दिन हत्याएं और डकैतियां हो रही है. लेकिन इन घटनाओं पर विपक्ष खामोश है. क्या ये घटनाएं काफी नहीं है जिससे सरकार को घेरा जा सके. क्या यही भूमिका होती है विपक्ष की लोकतंत्र में कि ट्वीट करके सराकर की निंदा कर दो. जिस पार्टी की सरकार को बीजेपी जंगल राज कहकर घेरती रही उस बीजेपी सरकार को घेरने के लिए अखिलेश यादव ने एक अदद ट्वीट किया है.
बुलंदशहर में पुलिस व ग्रामीणों के संघर्ष में स्याना कोतवाल सुबोध कुमार सिंह की मौत का समाचार बेहद दुखद है. भावपूर्ण श्रद्धांजलि.
उप्र भाजपा के शासनकाल में हिंसा और अराजकता के दुर्भाग्यपूर्ण दौर से गुज़र रहा है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 3, 2018
क्या राजनीति में ट्वीट से काम चलता है ? शायद चलता हो तभी अखिलेश यादव ट्वीट से काम चला रहे हैं. लेकिन अगल मुलायम सिंह अखिलेश की जगह होते तो शायद ये नहीं करते. वो मुखर होकर सरकार को घेरते. लेकिन अखिलेश ने वो नहीं किया. सपा के कुछ प्रवक्त टीवी पर जरूर दिखाई देिए. ऐसे में योगी सरकार के लिए फिलहाल राहत की बात यह है कि विपक्षी राजनीतिक दल अपनी-अपनी उलझनों में ऐसे फंसे हुए हैं कि उन्हें कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाने की फुरसत ही नहीं है. अब चलिए आपको बता देते हैं कि अखिलेश यादव कर क्या रहे हैं.
राजस्थान चुनाव में प्रचार के अंतिम दिन उमड़ी भीड़ बता रही है कि बदलाव कितना बड़ा होगा. जनता भाजपा के झूठे वादों, बढ़ती महँगाई व नफ़रत की राजनीति से ऊब गयी है अब वो शांति, सौहार्द और विकास की ओर देख रही है. pic.twitter.com/ti2zAPiKXU
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 5, 2018
अखिलेश यादव आजकल राजस्थान के चुनाव प्रचार में व्यस्त है. हो सकता है कि उनकी रणनीति सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की हो लेकिन जिस प्रदेश के वो सीएम रहे वहां विपक्षी पार्टी के तौर पर उनकी क्या रणनीति है ? ये समझ से परे है. क्या समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाले नेता को ट्वीट करके इनकी बड़ी घटना पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी ?