तेलंगाना: दक्षिण भारत की राजनीति में कांग्रेस सूबाई सूबेदारों के साथ मिलकर अपनी जमीन को बचाने की कोशिश कर रही है तो बीजेपी मोदी मैजिक सहारे इस बार भी इस जुगत में है कि अपनी मौजूदगी यहां दर्ज कराती रहे. कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है इसलिए उसके पास मौका अच्छा है. लिहाजा उसके टीआरएस के साथ मिलकर गठबंधन बनाया और तेलंगाना में KCR आर को चुनौती दी. चंद्र बाबू नाएडू का तेलंगाना में अभी भी समर्थक वर्ग है और वो इसका फायदा उठाएंगे.
बीजेपी तेलंगाना में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत में वो तीसरे नंबर की पार्टी अभी तक तो नजर आ रही है हां ये बात और है. और ये हम इसलिए कह रहे हैं कि मोदी ने अभी तक तेलंगाना में सिर्फ 3 रैलियां की हैं. ये इस बात का संकेत हैं कि इस राज्य पर बीजेपी अपनी ज्यादा ताकत लगाना नहीं चाहती. ये बात और है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी जैसे नेताओं यहां डेरा डाले हैं. लेकिन ये जी के लिए बल्कि अपनी पांच सीट बचाने और इस आकंड़े को बढ़ाने की कोशिश भर है. बीजेपी यहां केसीआर के मुस्लिमों को 12% आरक्षण देने में नाकाम रहने र हैदराबाद लिबरेशन डे मनाने का वादे को मुद्दा बनाए हुए है.
एक और पार्टी है एमआईएम जो हैदराबाद की पार्टी है और सिर्फ 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इनमें से 7 पर वो 2014 में जीती थी. लेकिन दिलचस्प ये है कि एमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी टीआरएस के लिए मुस्लिम इलाकों में लगातार प्रचार कर रहे हैं. हालंकि 13.5% मुस्लिम वोटर कहां जाएगा अभी इसमें मतभेद हो सकता है. लेकिन एक बात तो स्पष्ट है 11 तारीख को नतीजे KCR को हैरान परेशान कर सकते हैं.